वह मंगलवार को अपने आवास पर बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया की एग्जिक्यूटिव कमेटी के सदस्यों के साथ बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि संस्थान को दक्षिण बिहार में स्थापित करने की प्राथमिकता दी जाये. सीएम ने इंस्टीट्यूट से हर प्रखंड में एक-एक गांव को गोद लेने के लिए कहा ताकि किसान नयी कृषि पद्धति से अवगत हो सकें.
सीएम ने कहा कि संस्थान उच्च प्रोटीन युक्त फसल प्रभेद पर शोध तथा धान, गेहूं एवं मक्का के जल्दी पकने वाले प्रभेद कराने पर विचार करें. बोरलॉग इंस्टीच्यूट अंतरराष्ट्रीय स्तर की संस्थान है. यह बिहार, मध्यप्रदेश और पंजाब में है. संस्थान के लिए राज्य सरकार ने पूसा में 15337 एकड़ जमीन मुहैया करायी है. बिहार में संस्थान मुख्य रूप से जलवायु प्रतिरोध क्षमता वाले धान, गेहूंं, मक्का व दलहन की उन्नत खेती पर खासतौर से शेध करता है. मौके पर संस्थान के महानिदेशक डॉ थॉमस ए लंपकीन और बोरोलॉग इंस्टीच्यूट कमेटी के अध्यक्ष डॉ जॉन स्नेप के अलावा मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा, सचिव अतीश चंद्रा, विशेष कार्य पदाधिकारी धर्मेद्र सिंह और गोपाल सिंह मौजूद थे.