पटनामूर्तिकला के विकास को समझना बहुत जरूरी है. मूर्तिकला किस रूप में कब बदला इसके लिए पूरे इतिहास को देखना जरूरी है. यहां पहले से लोग मूर्ति को पूजते है. इसलिए हम लोगों में मूर्तिकला को समझने की कला है. यह बातें शनिवार को कला एवं शिल्प महाविद्यालय में संस्कृतिकर्मी विनय कुमार ने कही. वह कॉलेज के 76वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित होने वाले व्याख्यान माला श्रृंखला को संबोधित कर रहे थे. व्याख्यान का विषय ‘समकालीन भारतीय मूर्तिशिल्प’ विषय पर था. उन्होंने कहा कि मूर्ति के विकास को समझना बहुत जरूरी है. पहले के दौर में व अब के दौर में जो परिवर्तन हुआ इसे नये कलाकारों को समझना होगा. इससे बेहतर कला उभर कर समाने आयेगी. कार्यक्रम की अध्यक्षता कॉलेज के प्राचार्य प्रो चंद्रभूषण श्रीवास्तव ने की. व्याख्यान माला श्रृंखला के संयोजक प्रो अजय कुमार पांडेय ने कार्यक्रम में 26 व 27 जनवरी को होने वाले कार्यक्रम की जानकारी थी. उन्होंने कहा कि 26 को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रा पर कार्यक्रम होगा. इसमें आलोक धन्वा मुख्य वक्ता रहेंगे. इस मौके पर डॉ अभय कुमार, प्रो राखी कुमार, प्रो मजहर इलाही, प्रो अविनाश दास, प्रो संगीता कुमारी, प्रो शशिरंजन, प्रो रश्मि, डॉ रीता शर्मा, प्रो विनोद कुमार के साथ अन्य स्टूडेंट्स मौजूद थे.
BREAKING NEWS
मूर्तिकला के इतिहास को समझना जरूरी
पटनामूर्तिकला के विकास को समझना बहुत जरूरी है. मूर्तिकला किस रूप में कब बदला इसके लिए पूरे इतिहास को देखना जरूरी है. यहां पहले से लोग मूर्ति को पूजते है. इसलिए हम लोगों में मूर्तिकला को समझने की कला है. यह बातें शनिवार को कला एवं शिल्प महाविद्यालय में संस्कृतिकर्मी विनय कुमार ने कही. वह […]
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement