नयी दिल्ली. सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान कानून में संशोधनों की तैयारी की है, जिनका मकसद केंद्र सरकार को कुछ मामलों में कर्मचारियों के अनिवार्य भविष्य निधि अंशदान को कम करने या माफ करने का अधिकार देना है. प्रस्तावित बदलावों के तहत केंद्र श्रेणी विशेष के उद्योगों की वित्तीय स्थिति तथा अन्य हालात को देखते हुए इस बारे में फैसला करेगा. सूत्रों ने कहा, श्रम मंत्रालय ने इस कानून में संशोधन के लिए प्रस्तावित विधेयक पर परामर्श प्रक्रिया पूरी कर ली है. प्रस्तावित संशोधनों के साथ साथ श्रम मंत्रालय ने कानून में कुछ और बदलावों के लिए अपनी राय बनायी है. इस संशोधन विधेयक को अगले महीने संसद के बजट सत्र में पेश किया जा सकता है. श्रम मंत्रालय ने मसौदा विधेयक पर 10 जनवरी तक आम लोगों की राय मांगी है. फिलहाल इस कानून के दायरे में आने वाले संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को अपने मूल वेतन (मूल वेतन व महंगाई भत्ते) का 12 प्रतिशत भविष्य निधि कोष में देना पड़ता है. प्रस्तावित संशोधन विधेयक में केंद्र सरकार को अनिवार्य पीएफ अंशदान को मौजूदा 12 प्रतिशत (मूल वेतन) से घटाकर 10 प्रतिशत करने का अधिकार भी मिलेगा. इसमें कर्मचारियों को भविष्य निधि कानून के तहत लाने के लिये रखी गयी सीमा को भी कम करने का प्रस्ताव है. वर्तमान में ऐसी कंपनियां जिनमें 20 अथवा इससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं भविष्य निधि कानून के दायरे में आते हैं. इस संख्या को घटाकर 10 करने का प्रस्ताव है. इस सीमा को कम करने से करीब 50 लाख और कर्मचारियों के ईपीएफओ के दायरे में आने की उम्मीद है.
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केंद्र को पीएफ अंशधान घटाने, माफ करने का अधिकार देने के लिए विधेयक शीघ्र
नयी दिल्ली. सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान कानून में संशोधनों की तैयारी की है, जिनका मकसद केंद्र सरकार को कुछ मामलों में कर्मचारियों के अनिवार्य भविष्य निधि अंशदान को कम करने या माफ करने का अधिकार देना है. प्रस्तावित बदलावों के तहत केंद्र श्रेणी विशेष के उद्योगों की वित्तीय स्थिति तथा अन्य […]
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