इसके पहले नगर निगम के वकील वाइबी गिरि ने कोर्ट से कहा कि निगम भंग करने से पहले नोटिस जारी होना चाहिए, लेकिन सरकार की मंशा पहले आ गयी और वार्ड आयुक्त को नोटिस बाद में जारी हुआ. यह कानूनी तौर पर उचित नहीं है. नगर विकास विभाग ने निगम को भंग करने की पहल की है. समाचार पत्र में इसकी खबर के बाद वार्ड आयुक्तों को इसका नोटिस जारी किया गया.
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नगर निगम भंग करने पर हाइकोर्ट की अंतरिम रोक, फिलहाल निगम भंग नहीं
पटना: हाइकोर्ट ने पटना नगर निगम को भंग करने की सरकार की योजना पर अंतरिम रोक लगा दी है. न्यायाधीश ज्योति शरण की अदालत ने मंगलवार को उपमहापौर विनय कुमार पप्पू और पूर्व उपमहापौर संजय कुमार सिंह की याचिका पर सुनवाई की . कोर्ट ने 20 जनवरी को सरकार से अपना पक्ष रखने को कहा […]
पटना: हाइकोर्ट ने पटना नगर निगम को भंग करने की सरकार की योजना पर अंतरिम रोक लगा दी है. न्यायाधीश ज्योति शरण की अदालत ने मंगलवार को उपमहापौर विनय कुमार पप्पू और पूर्व उपमहापौर संजय कुमार सिंह की याचिका पर सुनवाई की . कोर्ट ने 20 जनवरी को सरकार से अपना पक्ष रखने को कहा है. सरकार का पक्ष आने के बाद आगे की सुनवाई होगी.
सरकार के चापलूसों को लगा तमाचा : मेहता
हाइकोर्ट के फैसले से विपक्षी पार्षदों में खुशी की लहर छा गयी. डिप्टी मेयर रूप नारायण मेहता ने कहा कि यह फैसला राज्य सरकार व सरकार के चापलूसों पर तमाचा है. राज्य सरकार निगम को असंवैधानिक तरीके से भंग कर रही थी, जिसमें महापौर की भूमिका संदिग्ध है. उन्होंने कहा कि डिप्टी मेयर हो या मेयर जनता द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधि हैं. सरकार ने चुने हुए जनप्रतिनिधियों को मानसिक प्रताड़ना दी है. महापौर जनविरोधी हैं. वार्ड पार्षद विनय कुमार पप्पू, सुनील कुमार, पूर्व मेयर संजय कुमार आदि ने कहा कि राज्य सरकार निगम को भंग करने की साजिश कर रही थी.
कोर्ट का समय किया बरबाद : मेयर
मेयर अफजल इमाम ने कहा कि विपक्षी पार्षदों को भ्रम में जीने की आदत हो गयी है. राज्य सरकार द्वारा निगम भंग नहीं किया जाना था. यह बात हम बहुत पहले से बोल रहे थे. निगम संवैधानिक संस्था है, जिसे भंग करने की लंबी प्रक्रिया है. विपक्षी पार्षद धरना दे रहे थे, उस समय भी हमने कहा था कि निगम भंग नहीं होगा. विपक्षी पार्षद बेवजह हाइकोर्ट में मामला ले गये और कोर्ट का समय भी बरबाद किया. नगर आयुक्त के साथ कुछ अधिकारियों पर जनहित की योजनाओं को पूरा नहीं करने के आरोप में कार्रवाई होनी है. इसको लेकर ही सरकार ने आयुक्त व पार्षदों से स्पष्टीकरण पूछा था.
विपक्षी सदस्यों ने बांटीं मिठाइयां
हाइकोर्ट के फैसला आने के बाद विपक्षी पार्षद डिप्टी मेयर रूप नारायण मेहता के कार्यालय में एकजुट हुए. करीब 12 बजे पांच किलो लड्डू मंगवाया और एक-दूसरे को खिला कर मुंह मीठा कराया. इसके साथ ही डिप्टी मेयर के चैंबर में आनेवाले बाहरी लोगों को भी लड्डू खिलाया जा रहा था. उधर, मेयर के चैंबर में भी पार्षदों का जमावड़ा लगा था, लेकिन मिठाइयां नहीं बंटीं.
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