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राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता छीन रहा केंद्र
पटना: देश में जल्द ही गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू होने जा रहा है. इससे राज्य सरकार को कई स्तरों पर टैक्स का नुकसान होगा. इस तरह की कई टैक्स प्रणाली लाकर केंद्र सरकार राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता और टैक्स से होनेवाली आय पर अंकुश लगाना चाहती है. ऐसा करने से राज्य सरकार की […]
पटना: देश में जल्द ही गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू होने जा रहा है. इससे राज्य सरकार को कई स्तरों पर टैक्स का नुकसान होगा. इस तरह की कई टैक्स प्रणाली लाकर केंद्र सरकार राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता और टैक्स से होनेवाली आय पर अंकुश लगाना चाहती है. ऐसा करने से राज्य सरकार की हालत नगर निगम की तरह हो जायेगी. ये बातें वित्त मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने कहीं. वह मंगलवार को अर्थशास्त्रियों व बुद्धिजीवियों से बजट पर रायशुमारी कर रहे थे. उन्होंने कहा कि जीटीएस जैसी टैक्स व्यवस्था लागू होने से सभी तरह का वित्तीय प्रबंधन और शक्ति केंद्र के हाथ में चली जायेगी.
कृषि पर ध्यान देना जरूरी : उन्होंने केंद्र के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इससे उचित मार्केट नहीं मिलेगा. केंद्र द्वारा तेल का पैसा घटाने से राज्य को डेढ़ से दो हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य में जमीन और खान की उपलब्धता काफी कम है. ऐसे में कृषि ही सबसे उपयरुक्त माध्यम है. इसे मजबूत करने के लिए पानी का समुचित प्रबंधन, गोदाम का निर्माण, उन्नत बीज का उपयोग समेत अन्य कई बातों पर खास ध्यान दिया जा रहा है. कृषि उत्पादों की ब्रांडिंग पर खास ध्यान दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि राज्य में टैक्स संग्रह लगातार बढ़ रहा है. वर्तमान में यह बढ़ कर 24 हजार करोड़ हो गया है.
कृषि उत्पादों का पेटेंट कराने की जरूरत : आइआइटी के प्रो नलिन ने कहा कि राज्य के कृषि उत्पादों का जीआइ (ज्योग्राफिकल इंडेक्स) या पेटेंट कराने की जरूरत है. कई दूसरे देश यहां आकर हमारे उत्पादों का पेटेंट करवा रहे हैं. इसी का नतीजा है कि पटना बस स्टैंड में बांग्लादेश में निर्मित ‘प्रान’ नामक लीची पेय मिलता है. यह पेय बड़े मॉल नहीं, बल्कि छोटी दुकानों और शहरों में बिकते हैं, जो गैरकानूनी व्यापार का उदाहरण भी है. जर्दालु व मालदा आम, लीची समेत अन्य उत्पादों का पेटेंट कराने से इसकी पूछ विदेशों में बढ़ेगी. जब कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देकर राज्य की कृषि उदासीनता खत्म की जा सकती है. अभी भारत के कुल निर्यात में बिहार का योगदान महज 1.5 फीसदी है.
इन्होंने दिये सुझाव : बैठक में वित्तीय सलाहकार शैबाल गुप्ता, वित्त विभाग के प्रधान सचिव रामेश्वर सिंह, एचआर श्रीनिवास, तिलक राज गौरी, संजीव मित्तल, ओपी झा आदि मौजूद थे. सुझाव देनेवालों में बिपार्ट के महानिदेशक सुधीर कुमार राकेश, एएन सिन्हा शोध संस्थान के निदेशक डीएम दिवाकर, नालंदा खुला विवि के कुलपति प्रो रासबिहारी सिंह, आइआइटी के प्रो नलिन, आर्यभट ज्ञान विवि के प्रो उदय मिश्र, पटना वीमेंस कॉलेज की सरोज सिन्हा व सुफिया फातिमा, दरभंगा विवि के रामनाथ ठाकुर आदि थे.
मगध विवि के प्रो शैलेश सिंह, मगध महिला कॉलेज के प्रो जर्नादन प्रसाद, हेमंत कुमार दास, कॉलेज ऑफ कॉमर्स की प्रो मृदुला व प्रो रश्मि अखौरी, एएन कॉलेज की प्रो प्रीति कश्यप व प्रो मीणा मौजूद थे.
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