इस माह के अंत तक टेंडर खुलेगा. उसके बाद अस्पतालों में भरपूर दवाएं एक साथ भेजा जाना संभव हो पायेगा. फिलहाल अस्पतालों से जिन दवाओं की मांग निगम के पास आती है, अगर वह निगम के भंडार में रहती हैं, तो भेज दी जाती हैं, वरना उनको अपने स्तर से खरीदने को कह दिया जाता है.
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फरवरी से अस्पतालों में नहीं होगी दवा की कमी
पटना: दवा घोटाला उजागर होने के बाद से राज्य के अस्पतालों में दवा की किल्लत है. स्वास्थ्य विभाग ने दवा खरीद के लिए अधीक्षकों व सिविल सजर्नों को शक्ति दी है. इसके बावजूद अस्पतालों में मरीजों को पूरी दवाएं नहीं मिल पाती हैं. लेकिन, फरवरी से कमी नहीं होगी. बीएमएसआइसीएल ने दवा खरीद के लिए […]
पटना: दवा घोटाला उजागर होने के बाद से राज्य के अस्पतालों में दवा की किल्लत है. स्वास्थ्य विभाग ने दवा खरीद के लिए अधीक्षकों व सिविल सजर्नों को शक्ति दी है. इसके बावजूद अस्पतालों में मरीजों को पूरी दवाएं नहीं मिल पाती हैं. लेकिन, फरवरी से कमी नहीं होगी. बीएमएसआइसीएल ने दवा खरीद के लिए इ-टेंडर जारी किया है.
ब्लैकलिस्टेड कंपनी को नहीं किया जायेगा शामिल : जिस कंपनी का एक भी प्रोडक्ट किसी भी राज्य में ब्लैकलिस्टेड होगा, उसे टेंडर प्रक्रिया में शामिल नहीं होने दिया जायेगा. इ-टेंडरिंग टेंडरिंग प्रक्रिया ठीक से हो और सही कंपनी को टेंडर मिले, इसके लिए अलग से मॉनीटरिंग की व्यवस्था होगी. इस बार गड़बड़ी नहीं हो, इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग भी नजर रखेगा. इसके लिए अलग से सेल भी बनाया गया है, जो गुप्त रुप से काम कर रहा है. टेंडर भरनेवाली कंपनियों की माइक्रो स्तर पर जांच हो, इसको लेकर तैयारी पूरी कर ली गयी है. दवा घोटाले की जांच में हुए खुलासे व दवा खरीद में की गयी गड़बड़ी किस तरह से हुई है.
दवा खरीद के लिए इ-टेंडरिंग की गयी है, जो जनवरी के अंतिम सप्ताह में खुलेगी. इसके बाद जिन कंपनियों का चयन किया जायेगा, उनसे दवा खरीदी जायेगी. फिलहाल भंडार में जितनी दवाइयां हैं, अगर उनकी मांग किसी भी अस्पताल से आती है, तो भेज दिया जाता है.
डीके शुक्ला, एमडी, बीएमएसआइसीएल
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