* मशरक कांड : एफएसएल की जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश
* मासूमों की मौत का मामला
पटना : मशरक स्थित गंडामन प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को परोसे गये खाने में जहरीला पदार्थ मोनोकोटोफॉस नामक ऑर्गेनो फास्फोरस पदार्थ पाया गया है. यह तेल में मिला हुआ था. 16 जुलाई को मिड डे मील खाने से 23 बच्चों की मौत हो गयी थी.
फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट में विधि विज्ञान प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों द्वारा की गयी जांच के बाद कृषि में प्रयोग किये जाने वाले कीटनाशक का पाया जाना वैज्ञानिक रूप से सत्य प्रमाणित हुआ है. यह मनुष्यों व अन्य जीवों के लिए अत्यंत विषैला होता है. फॉरेंसिक सायंस लेबोरेट्री ने अपनी जांच रिपोर्ट शनिवार को पुलिस व संबंधित कोर्ट को सौंप दी.
अपर पुलिस महानिदेशक ( मुख्यालय) रवींद्र कुमार ने एफएसएल द्वारा जांच रिपोर्ट जारी किये जाने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि मशरक, जिला सारण थाना कांड संख्या – 154/13 दिनांक 16.07.2013, धारा 302/307/328/120(बी) भादवि में संकलित किये गये विधि विज्ञान संबंधी प्रदशरे का राज्य की विधि विज्ञान प्रयोगशाला में विश्लेषण किया गया. वैज्ञानिकों ने खाना पकानेवाले संदिग्ध विषैले माध्यम, जिसे स्कूल में प्लास्टिक के डिब्बा में पाया गया था, और बरतनों व थालियों से भोजन के नमूने की जांच की. इन नमूनों में जीसीएमएस उपकरण पर मानक विश्लेषण प्रक्रिया द्वारा की गयी जांच में मोनोकोटोफॉस नामक ऑर्गेनो फास्फोरस पदार्थ को पाया गया है.
-विज्ञान प्रौद्योगिकी राष्ट्रीय पुस्तकालय के डाटा बेस का हुआ इस्तेमाल
अपर पुलिस महानिदेशक, मुख्यालय रवींद्र कुमार ने बताया कि जांच के क्रम में वैज्ञानिक विज्ञान प्रौद्योगिकी राष्ट्रीय पुस्तकालय के डाटा बेस का इस्तेमाल करते हुए इस नतीजे पर पहुंचे हैं.
* पांच गुना अधिक क्षमतावाला था जहर
एडीजी ने बताया कि वैज्ञानिकों ने इस केस में एकत्र साक्ष्यों के नमूनों को बाजार में उपलब्ध ‘हिलकॉन’ नामक कीटनाशक के साथ तुलना की. इस तुलनात्मक अध्ययन में भी ऑर्गेनो फॉस्फोरस प्रमाणित हुआ है. एफएसएल रिपोर्ट के साथ उपलब्ध डाटा में देखा गया कि खाना पकाने वाले तेल में उक्त कीटनाशक का शीर्ष क्षेत्रफल बाजार के मानक नमूने के सापेक्ष पांच गुना से भी अधिक था.
* किन-किन बिंदुओं पर पुलिस की नजर
एडीजी ने कहा कि खाने में किसने यह जहरीला पदार्थ डाला, यह पहले से खाने में मौजूद था या नहीं, कैसे इसे इस्तेमाल किया गया, इन सभी तथ्यों पर अनुसंधान के क्रम में जांच की जायेगी. फिर, उसके आधार पर कार्रवाई की जायेगी. पुलिस फिलवक्त सभी साक्ष्यों को एकत्र करने व मामले के अनुसंधान को वैज्ञानिक आधार पर करने में जुटी है. इसके बाद आरोपित अभियुक्तों की पहचान व गिरफ्तारी की कार्रवाई की जायेगी.
* क्या था मामला
मशरक प्रखंड के गंडामन धर्मासती गांव के प्राथमिक विद्यालय में मिड डे मिल खाने से 23 बच्चों की मौत हो गयी थी. इसके साथ ही करीब 25 बच्चों को पटना स्थित मेडिकल कॉलेज में भरती कराया गया. घटना के बाद से प्रधानाचार्य फरार हैं. रसोइया व उसके दो बच्चे भी इस भोजन के खाने से बीमार हो गये थे.
* रिपोर्ट में कहा गया
भोजन में मोनोक्रोटोफॉल नामक कीटनाशक था. जिन बच्चों ने इसे अधिक मात्र में खाया उनकी तुरंत मौत हो गयी और जिनके अंदर कम मात्र प्रविष्ट हुई वे देर तक जीवित रहे या अब तक हैं. एफएसएल के निदेशक उमेश कुमार सिन्हा ने सीजेएम को यह रिपोर्ट सौंपी.
* साजिश के तहत मिलाया कीटनाशक!
पटना : मिड डे मील खाने से जिस गंडामन स्कूल के 23 बच्चों की मौत हो गयी, उसकी हेडमास्टर मीना देवी ने पांच दिन बाद अपनी जुबान खोली है. उसने घटना में किसी बड़ी साजिश की आशंका जतायी है. शनिवार को दोपहर मीना देवी ने प्रभात खबर से दूरभाष पर बातचीत की और अपना पक्ष रखा. मीना देवी ने कहा कि वह कोर्ट की शरण लेंगी. उसने सारण के डीआइजी और आयुक्त की जांच पर अविश्वास जताते हुए कहा कि इतनी बड़ी घटना हुई है. इसकी सीबीआइ जांच होनी चाहिए. हेडमास्टर ने अपने परिवार पर हमले की भी आशंका जतायी है.
2007 में नियोजित शिक्षक के रूप में बहाल मीना देवी को 2011 में गंडामन में नया प्राथमिक विद्यालय खुला, तो तत्कालीन प्रखंड शिक्षा अधिकारी ने यहां तबादला कर दिया. सीनियर होने के कारण उसे प्रधानाध्यापिका बनाया गया. दूसरी शिक्षिका हैं कुमारी कल्पना. घटना के दिन दूसरी शिक्षिका स्कूल नहीं आयी थीं. मीना देवी ने कहा कि उन्हें किसी पर शक नहीं, पर इतना तय है कि साजिश के तहत किसी ने खाने में जहरीला पदार्थ मिलाया है. जिस समय खाना बना, उस समय ठीक था. अपने को बेकसूर मानते हुए मीना देवी ने कहा कि उनके परिवार के भी दो बच्चों की मौत हुई है.
-एक दिन पहले भी इसी तेल से बना था खाना
बातचीत के दौरान घबरायी और सहमी मीना देवी ने कहा कि निकट के बाजार से खरीदे गये सरसों तेल से सब्जी बनी थी. इस तेल से एक दिन पहले भी खाना बना था. घटना के दिन स्कूल में वह अकेली थी. दूसरी शिक्षिका कुमारी कल्पना ने नहीं आने की कोई सूचना नहीं दी. वह अकेले पठन- पाठन और भोजन को भी संभाल रही थी. इसी बीच जिन बच्चों ने भोजन किया, वह मूर्छित होने लगे. प्रधानाध्यापिका ने कहा कि बच्चों को गिरते देख उसने गांववालों से मदद की गुहार लगायी
* शिक्षा समिति की सहमति से बनता था भोजन
मीना देवी ने कहा कि गंडामन स्कूल में शिक्षा समिति है. समिति की राय से ही भोजन बनता है. मेरे पति की कोई किराना दुकान नहीं है. बगल की दुकान से ही सामान मंगवाये जाते थे.
* चुनाव के दिन से ही था गांव में तनाव
मीना देवी ने कहा कि महाराजगंज लोकसभा चुनाव के दिन गांव में दो गुटों में झड़प हुई थी. स्थानीय पुलिस ने कई लोगों पर मुकदमा चलाया था. मीना देवी ने किसी पर शक जाहिर नहीं किया, लेकिन राजनीतिक साजिश की आशंका से इनका नहीं किया.
* प्रधान शिक्षिका ने खोली जुबां
* सरेंडर करेंगी या अग्रिम जमानत की याचिका दायर करेंगी
– मशरक में नहीं थी एट्रोपिन की सूई
पटना : गंडामन स्कूल में विषाक्त भोजन खाने के बाद बीमार बच्चों का प्राथमिक इलाज मशरक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में किया गया. जिस तरह के इलाज व दवा की जरूरत थी, उसकी व्यवस्था वहां पर नहीं हो सकी. मशरक अस्पताल में ऑर्गेनो फास्फोरस के इलाज के लिए सामान्य सूई एट्रोपिन नहीं थी. यह सूई सरकार के आवश्यक जीवन रक्षक दवाओं की सूची में भी शामिल है. विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों को समय पर यह सूई दे दी जाती, तो संभव था कि इतनी संख्या में मौत नहीं होती.
स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी भी इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि मशरक अस्पताल में जब बच्चे इलाज के लिए पहुंचे, उस समय एट्रोपिन की सूई नहीं थी. प्रभात खबर ने दो दिन पहले ही अपनी पड़ताल में इस बात का खुलासा किया था कि एट्रोपिन की सूई नहीं मिलने के कारण ही अधिक संख्या में बच्चों की मौत हुई.
अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, अनुमंडली अस्पताल और जिला अस्पतालों के लिए जारी की गयी आवश्यक जीवन रक्षक दवाओं की सूची में ओपीडी में 33 प्रकार की, जबकि इनडोर मरीजों के लिए 112 दवाओं की सूची है. इनडोर मरीजों की दवाओं की सूची में एट्रोपिन की सूई को शामिल किया गया है. यह सूई सामान्य ऑपरेशन के दौरान काम में आती है.
कीटनाशकों के रूप दवाओं के छिड़काव होनेवाली दवाओं के सेवन की शिकायत भी मिलती है. ऐसे मरीजों के इलाज के लिए यह सूई दी जाती है. यह सूई अन्य बीमारियों में भी उपयोगी साबित होती है.
* सामूहिक जवाबदेही लें : राजू
मध्याह्न् भोजन हादसे पर केंद्र व बिहार सरकार के बीच आरोप- प्रत्यारोप के बीच केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री एमएम पल्लम राजू ने शनिवार को कहा कि यह समय सजग होने और सामूहिक जवाबदेही लेने की है.