पटना: दरभंगा के एक गांव की आबादी है 2080 और जॉब कार्ड मिला 4210 को. सुनिश्चित रोजगार योजना के बंद हुए पांच वर्ष हो गये, लेकिन अब भी उसकी योजनाएं पूरी नहीं हुईं. औरंगाबाद में मजदूरों के बजाय पोकलेन मशीन से मनरेगा का काम करा कर राशि की निकासी कर ली गयी. मुजफ्फरपुर में बगैर काम बड़ी राशि की निकासी कर ली गयी. बेगूसराय व अररिया में भी बगैर काम कराये ही राशि की निकासी कर ली गयी. मुखिया व रोजगार सेवक की मिलीभगत से ही पैसों की बंदरबांट होती रही. जिन अधिकारियों को मनरेगा की मॉनीटरिंग की जिम्मेवारी थी, उन्होंने आंख बंद रखी और लूट होती रही. यह खुलासा महालेखाकार (एजी) ने हाल ही में सरकार को सौंपी गयी रिपोर्ट में किया है. रिपोर्ट को विधानमंडल के मॉनसून सत्र में पेश किया जायेगा.
81 करोड़ रुपये नहीं हुए ट्रांसफर
वर्ष 2012 में मुजफ्फरपुर में मनरेगा में कागज पर काम करा कर बड़ी राशि लूट किये जाने के मामला उजागर हुआ था. विधानमंडल में सदस्यों ने इस मुद्दे को लेकर जम कर हंगामा किया था. इसके बाद महालेखाकार ने राज्य के 14 जिलों में विशेष ऑडिट किया. ऑडिट के क्रम में एजी की टीम को चौकाऊं तथ्य मिले. दरभंगा के एक गांव में सुनिश्चित रोजगार योजना के तहत काम के बदल अनाज योजना के तहत जो अनाज दिया गया था, उसमें से लगभग एक करोड़ का चावल कम मिला. सुनिश्चित रोजगार योजना को बंद कर मनरेगा को शुरू किया गया था. उस योजना की शेष राशि को मनरेगा के खाते में स्थानांतरित करना था, लेकिन 81 करोड़ रुपये स्थानांतरित नहीं किये गये.
1081 योजनाएं अब तक अधूरी
सुनिश्चित रोजगार योजना की 1081 योजनाएं अब तक अधूरी पड़ी हुई हैं. जबकि इन्हें छह वर्ष पहले पूरा होना था. यह मामला पूरे राज्य का है. दरभंगा में बगैर मांग के ही फर्जी तरीके से जॉब कार्ड बांट दिये गये. एजी की रिपोर्ट में कहा है कि कहीं-कहीं तो सोशल ऑडिट या तो हुआ ही नहीं, अगर हुआ भी तो कागज पर ही .जिन अधिकारियों को मॉनीटरिंग करना था वे भी अपनी जिम्मेवारियों का निर्वहन न कर लूट में साथ दिया.