पटना: शिल्पकारों व कलाकारों का घर व उसके आस-पास का इलाका पर्यटक स्थल के रूप में विकसित होगा. सरकार ने ग्रामीण पर्यटन विकास नीति बनायी है. मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक में इसकी मंजूरी दी गयी.
इस योजना का मकसद शिल्पकारों एवं कारीगरों के कार्यस्थल को पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाना है. कैबिनेट के सचिव ब्रजेश मेहरोत्र ने बताया कि हस्तकला, मधुबनी चित्रकला, लाह से बनी वस्तुएं व चूड़ी निर्माण, रेशम से निर्मित वस्त्र, सिक्की कार्य, कालीन निर्माण व शिल्पकला के कलाकारों के गांवों को चिह्न्ति कर उसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा. वहां मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए निजी क्षेत्र में संरचना का निर्माण किया जायेगा. सरकार अनुदान देगी.
पर्यटन विभाग परियोजना की कुल राशि का 50 प्रतिशत अथवा चार लाख, जो बचेगावह पूंजीगत अनुदान के रूप में दिया जायेगा. अनुदान की 80 प्रतिशत राशि कार्य समाप्त होने पर तथा शेष चार वर्ष में पांच-पांच प्रतिशत के रूप में दिया जायेगा. इच्छुक कारीगर, शिल्पकारों को डीएम के यहां आवेदन देना होगा. डीएम की अध्यक्षतावाली कमेटी आवेदन की समीक्षा कर पर्यटन विभाग को अनुदान के लिए अनुशंसा करेगी. अनुदान देने के पूर्व लाभार्थियों को इकरारनामा करना होगा. अगर अनुदान की राशि दुरुपयोग करने की शिकायत मिलती है, तो उसे नीलाम पत्र वाद के माध्यम से वसूली कर ली जायेगी.