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अप्रैल में रिपोर्ट देगा सवर्ण आयोग
जल्द खत्म होगा इंतजार. सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक स्थिति की मिलेगी जानकारी मुजफ्फरपुर/पटना : ऊंची जातियों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का आकलन करने के लिए बना सवर्ण आयोग अप्रैल, 2015 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगा. रिपोर्ट में राज्य में उच्च जातियों की शैक्षणिक व आर्थिक स्थिति की जानकारी होगी. साथ ही यह […]
जल्द खत्म होगा इंतजार. सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक स्थिति की मिलेगी जानकारी
मुजफ्फरपुर/पटना : ऊंची जातियों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का आकलन करने के लिए बना सवर्ण आयोग अप्रैल, 2015 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगा. रिपोर्ट में राज्य में उच्च जातियों की शैक्षणिक व आर्थिक स्थिति की जानकारी होगी. साथ ही यह भी होगा कि उनके लिए सरकार की ओर से क्या किया जाये?
फरवरी, 2014 में आयोग के सदस्य बने रिपुसूदन श्रीवास्तव ने कहा कि रिपोर्ट को लेकर मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की चिंता जायज है. मुख्यमंत्री प्रदेश की उच्च जातियों में पिछड़े लोगों के लिए भी कुछ करना चाहते हैं, यह अच्छा है, लेकिन यह कहना कि आयोग की ओर से कोई काम नहीं किया जा रहा है, सही नहीं होगा. प्रदेश के 20 जिलों का सव्रे होना है. इसके लिए सरकार की ओर से अगस्त, 2014 में पहली किस्त के रूप में 69 लाख रुपये दिये गये हैं. इसके बाद से काम शुरू हो गया है. अभी तक नौ जिलों में सव्रे हो गया है. आद्री नाम की संस्था सव्रे का काम कर रही है, जो मार्च में सभी 20 जिलों की रिपोर्ट दे देगी. इसके बाद आयोग की ओर से अप्रैल में सरकार को रिपोर्ट दे दी जायेगी.
11 करोड़ रुपये मिलने की बात गलत : श्रीवास्तव ने कहा, आयोग को स्थापना काल 2011 से अभी तक 5.80 करोड़ रुपये मिले हैं. 11 करोड़ रुपये मिलने की बात गलत है. इसमें आयोग के सदस्यों के साथ इसमें काम करनेवाले कर्मचारियों का वेतन व भत्ते का खर्च शामिल है. उन्होंने कहा, जब जनवरी 2011 में आयोग का गठन हुआ था, तब सदस्यों के पास बैठने तक की जगह नहीं थी.
उसी साल मई में आयोग के चेयरमैन जस्टिस डीके त्रिवेदी की नियुक्ति हुई. इसके बाद सर्किट हाउस के एक कमरे से आयोग का काम शुरू हुआ था, तब आयोग के लोग दरी पर बैठ कर काम करते थे. बाद में आवासीय इलाके में एक मकान आयोग के कार्यालय के रूप में आवंटित किया गया है, जिसमें काफी कम जगह है. इसके बाद भी सदस्यों व चेयरमैन की ओर से काम किया जा रहा है.
2013 में सौंपा प्रतिवेदन
सवर्ण आयोग की ओर से सरकार को 2013 में एक प्रतिवेदन सौंपा गया था. यह प्रदेश के 11 जिलों में आयोग के सदस्यों के दौरे के आधार पर बनाया गया था. इससे पहले 2012 में आयोग की ओर से सरकार को लिखा गया था कि जब तक प्रदेश में रहनेवाली उच्च जातियों के लोगों का सव्रे नहीं किया जायेगा, तब तक वास्तविक जानकारी नहीं मिलेगी. इसके एक साल बाद अगस्त, 2013 में सरकार ने सव्रे के काम को मंजूरी दी और इसके लिए अगस्त 2014 में राशि जारी की.
क्या है मामला
मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सवर्ण आयोग को जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपने का अल्टीमेटम दिया है. मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों विधानसभा स्थित अपने कक्ष में संवाददाताओं से कहा था कि यदि सवर्ण आयोग जल्द रिपोर्ट नहीं सौंपती है, तो आयोग इस्तीफा कर दे.
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