पटना: दक्षिण बिहार की नदियों से हो रहे बालू उठाव पर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने चिंता प्रकट की है. गांधी संग्रहालय में ‘दक्षिण बिहार की नदियों का संकट’ पर विमर्श में वक्ताओं ने कहा कि सरकार की गलत नीति व ठेका प्रथा के कारण लूट की संस्कृति पैदा हो गयी है. ठेकेदार मनमानी पर उतारू हैं. दक्षिण बिहार में आहर-पइन सबसे बेहतर सिस्टम है. लगभग 3600 पइन बेकार हो जायेंगे. सेवानिवृत्त अभियंता प्रमुख केएन लाल ने कहा कि नदी से बालू समाप्त होने पर पानी बिना रोक-टोक के गंगा के मैदानी इलाके में चला जायेगा और यह बाढ़ की विभीषिका पैदा करेगा.
आहर-पइन सिस्टम वर्षो पुराना
सेवानिवृत्त अभियंता प्रमुख बीएन शर्मा ने कहा कि आहर-पइन सिस्टम वर्षो पुरानी तकनीक है. पहले इसकी देखभाल समुदाय आधारित थी. अंगरेजी हुकूमत ने इसे व्यक्तिगत कर दिया. वर्तमान शासन व्यवस्था भी उसी नियम का पालन कर रही है. एएन सिन्हा संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ एमएन कर्ण ने कहा कि जब तक प्राकृतिक संसाधनों पर समुदाय का नियंत्रण नहीं होगा, कॉरपोरेट घराने इसे अपने हाथ में लेने की कोशिश करते रहेंगे. इसलिए नदियों का संरक्षण जरूरी है. 2014 के चुनाव में इसे मुद्दा बनाया जाये. सामाजिक कार्यकर्ता सत्य नारायण मदन ने कहा कि बोधगया में निरंजना नदी के किनारे ही भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई. हर साल पितरों के तर्पण के लिए फल्गु नदी में ही पिंडदान करते रहे हैं. शिवधनी सिंह ने कहा कि नदियों के साथ छेड़छाड़ होती रही, तो महत्वपूर्ण धरोहर पर भी ग्रहण लगने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. जगत भूषण ने कहा कि 450 करोड़ के राजस्व के चक्कर में नदियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा . फल्गु बचाने के लिए सदस्यों ने एक अभियान शुरू किया. गया मुख्यालय से 41 किमी दूर घोड़ाघाट से वाणावर तक की यहयात्रा11 दिनों तक चली. एकता परिषद के जगत भूषण, बिहार सर्वोदय मंडल के उपाध्यक्ष कारू, लोकस्वराज के चंद्रभूषण के नेतृत्व में निकली इस पदयात्रामें राजनंदन मांझी, सुरेश मांझी, कैलू मांझी, डॉ अभय प्रकाश टी उपेंद्र, देवनाथ देवन, अनिल, छोटू, गौरव, मंटू, बच्चू, नवीन, राकेश, चंद्रभूषण सहित अन्य शामिल हुए. इस टीम ने फल्गू व निरंजना नदी के पूर्वी व पश्चिमी तट पर बसे गांवों में नुक्कड़ सभाएं कीं. टीम के सदस्यों ने नदियों के सुरक्षित रखने को लेकर जागरूक अभियान चलाया.