पटना: पटना नगर निगम के आयुक्त को लेकर सरकार के दो विभाग आमने-सामने हैं. हाइकोर्ट द्वारा कुलदीप नारायण के निलंबन आदेश पर रोक लगाये जाने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग जहां उन्हें नगर आयुक्त मानता है, वहीं नगर विकास विभाग में इसको लेकर भ्रम की स्थिति है.
मेयर अफजल इमाम ने नगर विकास मंत्री से मार्गदर्शन मांगा है कि वह नगर आयुक्त के रूप में किसे सरकारी पत्र लिखें. अब विभाग इसके लिए कानून के जानकारों की राय ले रहा है. मंत्री सम्राट चौधरी ने विभाग के सचिव को विधि विशेषज्ञों से राय लेकर महापौर को जानकारी से अवगत कराने का निर्देश दिया है.
क्या है मामला
12 दिसंबर को सामान्य प्रशासन विभाग ने नगर आयुक्त कुलदीप नारायण को निलंबित करने का संकल्प जारी कर दिया. इस आधार पर नगर विकास विभाग ने 15 दिसंबर को कुलदीप नारायण के निलंबन की स्थिति में नगर निगम का प्रभार अपर नगर आयुक्त कपिल अशोक शीर्षत को सौंपने की अधिसूचना जारी की. हालांकि पटना हाइकोर्ट के एक पीठ ने कुलदीप नारायण को राहत देते हुए उनके निलंबन पर स्टे ऑर्डर दिया. आदेश के बाद कुलदीप नारायण नगर आयुक्त के रूप में काम कर रहे हैं.
छह जनवरी को सुनवाई है. अभी सरकार पसोपेश में है. हाइकोर्ट का एक खंडपीठ शीर्षत कपिल को नगर आयुक्त मानता है, जबकि दूसरा पीठ कुलदीप नारायण के निलंबन आदेश पर रोक लगा चुका है. दोनों ही पीठ के बराबर अधिकार हैं.
ललित किशोर, प्रधान अपर महाधि3वक्ता
न्यायपालिका का आदेश सर्वाेपरि होता है. कुलदीप नारायण पहले से नगर आयुक्त हैं. उनको निलंबित किये जाने के बाद शीर्षत कपिल को नगर विकास विभाग ने नगर आयुक्त के रूप में नियुक्त किया है. ऐसे में हाइकोर्ट ने सरकार के पहले के आदेश पर रोक लगा दी है. इसलिए कुलदीप नारायण का पद पर बने रहना कानूनी तौर पर उचित और वैध है. यदि सरकार ने आदेश में बदलाव नहीं किया, तो यह कोर्ट की अवमानना होगी.
मनन कुमार मिश्र, अध्यक्ष, बार काउंसिल ऑफ इंडिया