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फर्जी चेक से करोड़ों निकाले

पटना: फर्जी चेक के माध्यम से बैंकों से करोड़ों रुपये की निकासी प्रत्येक माह होती थी. पाटलिपुत्र के पॉलिटेक्निक मोड़ स्थित लोटस अपार्टमेंट निवासी सन्नी प्रियदर्शी व उसके सहयोगी सरकारी एवं गैर सरकारी खातों के फर्जी चेक तैयार कर बैंककर्मियों की मिलीभगत से मोटी रकम निकाल लिया करते थे. गुप्त सूचना के आधार पर आर्थिक […]

पटना: फर्जी चेक के माध्यम से बैंकों से करोड़ों रुपये की निकासी प्रत्येक माह होती थी. पाटलिपुत्र के पॉलिटेक्निक मोड़ स्थित लोटस अपार्टमेंट निवासी सन्नी प्रियदर्शी व उसके सहयोगी सरकारी एवं गैर सरकारी खातों के फर्जी चेक तैयार कर बैंककर्मियों की मिलीभगत से मोटी रकम निकाल लिया करते थे.

गुप्त सूचना के आधार पर आर्थिक अपराध इकाई ने इस गिरोह के सरगना सन्नी प्रियदर्शी को जांच के दायरे में लिया. एक मई की रात को सेवरलेट क्रूज गाड़ी से पटना-गया मार्ग से कोलकाता जाने के क्रम में उसे गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के दौरान गाड़ी की तलाशी ली गयी, तो बैग के अंदर से 13 फर्जी चेक मिले. इनमें सात फर्जी चेक डीडीसी,गोपालगंज व छह फर्जी चेक बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, दानापुर के हस्ताक्षर किये हुए थे.

खुलासे के आधार पर आर्थिक अपराध थाना कांड संख्या-13/2013, दिनांक 01.05.2013 दर्ज कर 15 अभियुक्तों को नामजद किया गया है.आर्थिक अपराध इकाई के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि गिरफ्तार सन्नी प्रियदर्शी ने बताया कि वह फर्जी चेकों को कोलकाता ले जा कर अपने सहयोगी प्रकाश कुमार राय, अशोक दास एवं उत्तम दास को दे देता. इसके बाद उन चेक से बैंक के माध्यम से राशि की निकासी कर ली जाती.

पाटलिपुत्र स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सहायक सुरेंद्र तिवारी एवं लाजपत नगर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, नयी दिल्ली के कर्मचारी प्रशांत कुमार के द्वारा मोटी रकमवाले खातों को चिह्न्ति कर रकम एवं खाता नंबर की जानकारी दी जाती थी. साथ ही उन मोटे रकमवाले खाताधारियों के द्वारा जमा किये गये पूर्व के चेक की फोटो कॉपी या रंगीन फोटोग्राफी को मोबाइल पर मैसेज या मेल के माध्यम से भेज दी जाती थी. इसके बाद गिरोह के सदस्य उत्तम कुमार के सहयोग से स्कैन कर फर्जी चेक तैयार कर लिया जाता था.

इस चेक पर संबंधित एकाउंट होल्डर का नाम, खाता नंबर आदि प्रिंट कर दी जाती थी. फर्जी चेक पर दूसरा सहयोगी अभय कुमार से हस्ताक्षर करवाया जाता था. दूसरी ओर, कोलकाता निवासी प्रकाश कुमार राय, अशोक दास एवं उत्तम दास फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर कई खाता खोल कर रखे हुए थे. इन्हीं फर्जी खातों में चेक डाल कर उसे भुना लिया जाता था. कैश भी तुरंत दूसरे खातों में हस्तांतरित कर विभिन्न एटीएम के माध्यम से निकाल ली जाती थी.

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