भोजपुरी लोक संस्कृति का संसार बहुत समृद्व संवाददाता, पटनासाहित्यकार प्रो रामबचन राय ने कहा कि पारंपरिक गीत, संगीत व उत्सव लुप्त हो रहे हैं. समग्र भोजपुरी लोक संस्कृति का संसार बहुत समृद्व है. आवश्यकता है उसे सहेजने और संरक्षित करने की है. ये बातें गोविंद बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान, इलाहाबाद द्वारा आयोजित ‘ अमराई द्वितीय ‘ के पहले दिन एएन सिन्हा इंस्टीटयूट ऑफ सोशल स्टडीज में आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी में कही. इसका आयोजन सर जमशेद जी टाटा ट्रस्ट, मुंबई द्वारा ‘माईग्रेशन एंड कल्चरल ट्रेडिशन इन भोजपुरी रीजन’ के अंर्तगत किया गया है. उषा किरण खान ने कहा कि औपनिवेशिक काल में विभिन्न कैरेबियन देशों में विस्थापित लोगों ने अपने साथ अपनी लोक गीत, लोक संगीत और भाषा भी साथ ले गये. इन प्रवासियों की युवा पीढ़ी ने अपनी लोक संस्कृति को संरक्षित रखा है. उन्होंने कहा कि भोजपुरी क्षेत्र में कई कवि हैं,जो निरंतर प्रवासन के दर्द को बयान करते लोक गीत, संगीत को सृजित करते रहे हैं. उद्घाटन सत्र के अध्यक्षीय भाषण में अर्थशास्त्री एवं निदेशक, आद्री प्रो शैवाल गुप्ता ने कहा कि भोजपुरी क्षेत्र की लोक संस्कृति में विस्थापन के दर्द को बखूबी प्रस्तुत किया गया है. हरितक्रांति के बाद से भारतीय लोक समाज में व्यापक बदलाव देखने को मिलता है. उन्होंने कहा कि समाज में लोकतांत्रिकरण का विस्तार हुआ है. प्रथम सत्र के अध्यक्षीय वक्तव्य में साहित्यकार खगेंद्र ठाकुर, डॉ नीरज, श्रीकांत , रत्नाकार जी, तारकेश्वर मिश्र राही, संतोष श्रेयांश, नवीन जोशी व ब्रजकिशोर पांडेय, अरुण कमल, राम नारायण तिवारी, मनोरंजन ओझा, बुद्वशरण हंस ने विचार रखें. धन्यवाद ज्ञापन परियोजना के निदेशक बद्री नारायण ने किया.
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लुप्त हो रहे हैं पारंपरिक गीत-संगीत व उत्सव
भोजपुरी लोक संस्कृति का संसार बहुत समृद्व संवाददाता, पटनासाहित्यकार प्रो रामबचन राय ने कहा कि पारंपरिक गीत, संगीत व उत्सव लुप्त हो रहे हैं. समग्र भोजपुरी लोक संस्कृति का संसार बहुत समृद्व है. आवश्यकता है उसे सहेजने और संरक्षित करने की है. ये बातें गोविंद बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान, इलाहाबाद द्वारा आयोजित ‘ अमराई […]
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