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ऑस्ट्रेलिया में बने सफल उद्यमी

पटना: बिहार के पिछड़े जिले अररिया के मिरदौल गांव की गलियों से निकल कर अमित दास ने पूरे विश्व में अपनी उद्यमशीलता व प्रतिभा साबित की है. सिर्फ 31 साल की उम्र में वह ऑस्ट्रेलिया के सफल उद्योगपतियों में शामिल हो गये हैं. गांव में स्कूल शिक्षा : मध्यमवर्गीय परिवार में जनमे अमित की प्रारंभिक […]

पटना: बिहार के पिछड़े जिले अररिया के मिरदौल गांव की गलियों से निकल कर अमित दास ने पूरे विश्व में अपनी उद्यमशीलता व प्रतिभा साबित की है. सिर्फ 31 साल की उम्र में वह ऑस्ट्रेलिया के सफल उद्योगपतियों में शामिल हो गये हैं.

गांव में स्कूल शिक्षा : मध्यमवर्गीय परिवार में जनमे अमित की प्रारंभिक पढ़ाई गांव में ही हुई. बचपन से बिजनेस करने की धुन थी. अमित ने 1995 में मैट्रिक करने के बाद पटना का रुख किया. यहां एएन कॉलेज से 1997 में आइएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की. मन में कुछ करने की लगन लिये आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गये.

वहां अमित ने पत्रचार के माध्यम से बीए की परीक्षा पास की. फिर, उसे लगा कि अंगरेजी की पढ़ाई के बिना आगे नहीं बढ़ा जा सकता, तो छह माह का कोर्स किया. इसके साथ ही एनआइआइटी में कंप्यूटर की पढ़ाई करने लगे. दिल्ली में एक छोटी-सी जगह में सॉफ्टवेयर डेवलप करने में जुट गये. विशेष रूप से कर्मचारियों की पेंशन, उनकी संख्या, उनके हितों का लेखा-जोखा रखनेवाले सॉफ्टवेयर का निर्माण किया.

महंगी कंपनियों के सॉफ्टवेयर खरीद कर प्रयोग नहीं कर सकनेवाली छोटी-छोटी कंपनियों ने इसे हाथों-हाथ लिया. फिर तो, अमित का सपना सच होता नजर आने लगा. उसने एसआइएस जैसी दर्जनों कंपनियों को सॉफ्टवेयर मुहैया कराया. फिर, ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर की ओर रुख किया. वहां बाकायदा अपनी कंपनी स्थापित की. आज चार देशों में आइ सॉफ्ट कंपनी के ब्रांच हैं.

करीब 150 करोड़ रुपये का कारोबार कंपनी कर रही है. अमित को माइक्रोसॉफ्ट प्रमाणपत्र भी प्राप्त है. इसके साथ ही उसे कई प्रमुख सम्मानों से भी नवाजा जा चुका है.

खोला इंजीनियरिंग कॉलेज
अमित ने सफलता के कदम चूमने के बाद भी अपनी मिट्टी को नहीं भूला. बियाडा से भूमि खरीद कर फारबिसगंज में अपने पिता के नाम पर मोती बाबू इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की स्थापना की है. इसमें विदेशी कंसल्टेंट ने निर्माण से लेकर सभी आवश्यक कार्य किये हैं. इसमें पढ़ाई शीघ्र ही शुरू होगी. अमित दास ने कहा कि इस इंस्टीट्यूट में अररिया व सीमांचल के छात्रों का विशेष रूप से नामांकन लिया जायेगा. इसके साथ ही उन्होंने 25 एकड़ जमीन मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के लिए खरीदी है. अमित ने कहा कि हार्ट अटैक से उनके पिता की अकस्मात मृत्यु 2006 में हो गयी. तब वह ऑस्ट्रेलिया में थे. अमित प्रत्येक तीन महीने में एक बार अपने गांव आते हैं और परिवार की सभी जिम्मेवारियों का निर्वाह करते हैं. उनका सपना है कि यहां एक मेडिकल कॉलेज खोलने की.

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