19 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

स्कूल में करोड़ों के घाटे के बाद अकेला पड़ गया था अमरेंद्र

पटना: मुंगेर के पूर्व सांसद धनराज सिंह के पुत्र अमरेंद्र सिंह ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी. अकूत संपत्ति के मालिक धनराज सिंह ने अपने बेटे को नौकरी के बजाय कारोबार के क्षेत्र में उतारा. जमशेदपुर में एक शू फैक्टरी से धंधे की शुरुआत हुई. बिजनेस का खास अनुभव नहीं होने के कारण घाटा लगा […]

पटना: मुंगेर के पूर्व सांसद धनराज सिंह के पुत्र अमरेंद्र सिंह ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी. अकूत संपत्ति के मालिक धनराज सिंह ने अपने बेटे को नौकरी के बजाय कारोबार के क्षेत्र में उतारा.

जमशेदपुर में एक शू फैक्टरी से धंधे की शुरुआत हुई. बिजनेस का खास अनुभव नहीं होने के कारण घाटा लगा और फैक्टरी बंद हो गयी. वर्ष 2010 में एक बार फिर पूर्व सांसद ने बेटे को संभाला और जमशेदपुर में लीज पर जमीन लेकर करीब 10 करोड़ की लागत से डीपीएस (दिल्ली पब्लिक स्कूल) की शाखा खोली.

जमीन मालिक ने अपने नाम करा लिया स्कूल : इस बीच मामला प्रकाश में आया कि जिस व्यक्ति ने स्कूल के लिए जमीन दे रखी थी, उसने स्कूल अपने नाम करा लिया है. कागज उसके पक्ष में था और उस पर हस्ताक्षर अमरेंद्र के थे. इस पूरे गेम में अमरेंद्र मोहरा था या फिर जान-बूझ कर उन्होंने बिक्री प्रपत्र पर साइन किया था, यह साफ नहीं हो पाया.

15 करोड़ के लोन पर बैंक ने भेजा नोटिस : बेटे को फिर खड़ा करने की कोशिश में जमशेदपुर में ही 10 एकड़ जमीन खरीद कर स्कूल खोला गया. इलाहाबाद बैंक से 15 करोड़ का लोन लिया गया. लेकिन मामला बना नहीं, किस्त जमा नहीं होने पर बैंक ने नोटिस दिया. अमरेंद्र ने पिता को बताने के बजाय लोकल लोगों से पैसा लिया, पर बैंक का कर्ज खत्म नहीं हुआ.

अमरेंद्र को किसने बनाया मोहरा

अमरेंद्र के करीबी लोगों की मानें, तो वह शराब नहीं पीते थे. उन्हें सिर्फ सिगरेट का शौक था. इसके अलावा वह नेक दिल इनसान थे. लेकिन कारोबार में कैसे घाटा लगता रहा, क्या वह किसी के चाल के मोहरा बन गये? उनके हाथ से करोड़ों रुपये अगर फिसल गये, तो किसके हाथ लगे. ऐसे ही बहुत सारे सवालों को जानने के लिए जल्द ही पटना पुलिस जमशेदपुर जायेगी.

तब जमशेदपुर पहुंचे थे धनराज सिंह

अमरेंद्र को लोकल लोगों ने उधारी पैसों के लिए घेरना शुरू कर दिया था. जमशेदपुर में लगातार हंगामा बढ़ता देख पूर्व सांसद ने करीब चार करोड़ लगाये और उधार चुकता किया. वहीं बैंक का किस्त भी तत्काल जमा किये, जिससे स्कूल रास्ते पर आया. अमरेंद्र के लगातार फ्लॉप होने की वजह से पूर्व सांसद ने उसे लगभग स्कूल के कारोबार से दूर कर दिया था. घाटे की वजह से साइड हो चुके अमरेंद्र की जगह अब पूर्व सांसद ने अपने दामाद की मदद लेनी शुरू की थी. स्कूल चलाने के लिए कुछ महीनों तक पूर्व सांसद अपने परिवार के साथ जमशेदपुर में भी रहे थे. बाद में वह पटना लौट आये थे. अब स्कूल का कारोबार उनके दामाद व बेटी देखती थी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें