लाइफ रिपोर्टर@पटना’मिथिला में पुरातात्विक महत्व के कई जगहों के संरक्षण व खुदाई की आवश्यकता है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण इन जगहों को सूची बना कर उसे संरक्षित करने के संदर्भ में गंभीरता से विचार कर रहा है. मधुबनी जिले के राजनगर को संरक्षित करने के लिए पहल शुरू कर दी गयी है’. मैथिली साहित्य संस्थान की ओर से पटना संग्रहालय सभागार में आयोजित ‘मिथिला पुरातत्व : दशा और दिशा’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कोलकाता के क्षेत्रीय निदेशक डॉ फणीकांत मिश्र ने ये बातें कहीं. उन्होंने मिथिला की सीमाओं का जिक्र करते हुए पौराणिक तथ्यों के आधार पर मिथिला के 12 नामों का जिक्र मिलता है. अकेले विदेह में सात स्वतंत्र देश सम्मिलित थे. उन्होंने कहा कि मिथिला में पुरातात्विक महत्व पर शोध का अभाव रहा है और संरक्षण नहीं होने के कारण कालिदास समेत कई विभूतियों की पहचान मिथिला से मिटती जा रही है. इस अवसर संग्रहालय के निदेशक डॉ जेपीएन सिंह ने मैथिली साहित्य संस्थान के वेबसाइट का लोकार्पण किया. संस्थान के सचिव भैरव लाल दास ने अतिथियों का स्वागत किया. मौके पर मधुबनी के भौरागढ़ी के संरक्षण के लिए उसे एएसआई के अधीन करने की आवश्यकता पर जोर दिया. संस्थान के कोषाध्यक्ष डॉ शिव कुमार मिश्र ने धन्यवाद ज्ञापन किया. उन्होंने कहा कि विमोचन के ही दिन 5000 रुपये की शोध पत्रिका की खरीदारी हुई है. यह मैथिली साहित्य के लिए आश्चर्यजनक बात है.
मिथिला में पुरातात्विक महत्व के जगहों का संरक्षण जरूरी
लाइफ रिपोर्टर@पटना’मिथिला में पुरातात्विक महत्व के कई जगहों के संरक्षण व खुदाई की आवश्यकता है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण इन जगहों को सूची बना कर उसे संरक्षित करने के संदर्भ में गंभीरता से विचार कर रहा है. मधुबनी जिले के राजनगर को संरक्षित करने के लिए पहल शुरू कर दी गयी है’. मैथिली साहित्य संस्थान की […]
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