पटना: गत दो वर्षो से नगर आयुक्त व मेयर के विवाद में जनहित योजनाएं लंबित हैं. इसका खामियाजा लोग भुगत रहे हैं. नगर आवास विकास विभाग ने निगम बोर्ड को भंग व नगर आयुक्त पर निलंबन की कार्रवाई की सिफारिश की. मुख्यमंत्री ने नियमानुसार निगम बोर्ड भंग करने का निर्देश देते हुए विभाग को फाइल लौटा दी.
अब विभाग ने मेयर व डिप्टी मेयर समेत सभी वार्ड पार्षदों से पांच सवाल के साथ स्पष्टीकरण पूछा है. नोटिस मंगलवार से वार्ड पार्षदों को मिलना शुरू हो गया है. हालांकि,बुधवार को बकई पार्षदों को नोटिस नहीं मिला. विभाग ने स्पष्टीकरण का जवाब 12 दिसंबर तक मांगा है. विपक्षी पार्षदों का कहना है कि स्पष्टीकरण का करारा जवाब देने के साथ-साथ चक्का भी जाम करेंगे. राज्य सरकार बिल्डर व विज्ञापन माफियाओं के दबाव से परेशान है और निगम बोर्ड भंग करने की कोशिश कर रही है.
विरोध में निकाला मशाल जुलूस : वार्ड पार्षद को भेजे जा रहे नोटिस के खिलाफ पार्षदों ने मोरचा खोल दिया है. मंगलवार को विभागीय मंत्री सम्राट चौधरी का पुतला फूंका,तो दूसरे दिन बुधवार को मशाल जुलूस निकाला. जुलूस मौर्यालोक स्थित निगम मुख्यालय से डिप्टी मेयर रूप नारायण मेहता, पार्षद विनय कुमार पप्पू व दीपक कुमार चौरसिया के नेतृत्व में निकला और जेपी गोलंबर तक गया. बाद में विपक्षी पार्षदों ने राज्यपाल के सचिव से मुलाकात की और भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी के सरकारी आवास पर मुलाकात की और निगम बोर्ड भंग नहीं हो. इसको लेकर आवाज उठाने का आग्रह किया.
परदे के पीछे चल रहा खेल
2006 में भी हाइकोर्ट ने पीआरडीए को फटकार लगाते हुए अवैध बिल्डिंग निर्माण पर कार्रवाई का आदेश दिया था.आदेश के आलोक में तत्कालीन उपाध्यक्ष ने छह सौ बिल्डिंग को चिह्न्ति किया, जिन पर कार्रवाई होनी थी. अवैध भवन पर कार्रवाई से पहले ही फरवरी 2007 में पीआरडीए का विघटन कर दिया गया. इससे अवैध भवन पर कार्रवाई रुक गयी. यही स्थिति वर्तमान में बनी हुई है. दो माह पहले निगम व पीआरडीए को अलग-अलग करने की बात चली, लेकिन अलग नहीं हुआ. इसके बाद निगम बोर्ड को भंग किया जा रहा है. निगम बोर्ड भंग हो जायेगा, तो नगर आयुक्त का पद खत्म हो जायेगा और नगर आयुक्त प्रशासक बन जायेंगे. इस स्थिति में राज्य सरकार प्रशासक के रूप में कुलदीप नारायण का स्थानांतरण कर देगी. कुलदीप नारायण के स्थानांतरण होने पर अवैध बिल्डिंग पर कार्रवाई की गति धीमी हो जायेगी.
विभाग ने स्पष्टीकरण में जवाब मांगा है. सभी योजनाएं स्थायी समिति व बोर्ड से पारित हैं. स्थायी समिति ने अनुपालन को लेकर समीक्षा बैठक भी की. निगम में जनहित का कार्य कराने के लिए स्थायी समिति ने हाइकोर्ट में पीआइएल भी दायर किया, जिन पर हाइकोर्ट ने कार्य करने का आदेश भी दिया,लेकिन बोर्ड व सरकार की बात नहीं मानने वाले आयुक्त ने हाइकोर्ट का आदेश नहीं माना. अधिकारी की गलती की सजा पार्षदों को दी जा रही है. हालांकि,जरूरत पड़ने पर विशेष बोर्ड की बैठक बुलायी जायेगी.
अफजल इमाम, मेयर