पटना: गंदगी, अव्यवस्था से जुझते पटना नगर निगम को भंग करने संबंधी नगर विकास विभाग का नोटिस मिलने के बाद माहौल गरमा गया है. मंगलवार को सभी पार्षदों को स्पष्टीकरण का नोटिस मिल गया. नोटिस मिलने के बाद विपक्षी पार्षद सड़क पर उतरे और नगर विकास मंत्री सम्राट चौधरी का पुतला फूंका. विपक्षी पार्षदों का कहना है कि जब तक निर्णय वापस नहीं होता, तब तक आंदोलन चलता रहेगा. कल शाम चार बजे मशाल जुलूस निकाला जायेगा, जो निगम मुख्यालय से गांधी मैदान जायेगा.
अपनी-अपनी डफली, अपना-अपना राग : इस मुद्दे पर भी मेयर गुट व विपक्षी अलग-अलग हो गये हैं. मंगलवार को विपक्षी पार्षदों को जैसे ही नोटिस मिला, डिप्टी मेयर रूप नारायण मेहता के कार्यालय में एकजुट होने लगे. दिन के करीब 11 बजे से विपक्षी पार्षद निगम मुख्यालय पहुंचने लगे और 1:30 बजे डिप्टी मेयर के नेतृत्व में दर्जनों पार्षद विभागीय मंत्री के खिलाफ नारेबाजी करते हुए डाकबंगला पहुंचे. यहां मंत्री का पुतला फूंका गया.
लोकतंत्र की हो रही हत्या
डिप्टी मेयर रूप नारायण मेहता, वार्ड पार्षद विनय कुमार पप्पू व दीपक कुमार चौरसिया ने कहा कि मंत्री अज्ञानता में निगम भंग करने की योजना बना रहे हैं. निगम को भंग करना लोकतंत्र की हत्या है. इसका विरोध सड़क से लेकर सदन तक होगा. वहीं, मेयर गुट के पार्षदों का कहना है कि बैठक होती है, तो पार्षद नहीं पहुंचते हैं. इससे विकास योजनाएं बाधित हो रही थीं. स्थायी समिति व बोर्ड में लिये निर्णय का पालन भी नहीं हो रहा था, तभी हाइकोर्ट गये. अब सरकार भंग करने को लेकर नोटिस भेजा है, तो खलबली क्यों मच गयी है?
निगम की नाकामियां
नियमित फॉगिंग नहीं होने से डेंगू की चपेट में आकर कई लोगों की मृत्यु हो गयी
ठोस कचरा प्रबंधन योजना के तहत करोड़ों रुपये खाता में होने के बावजूद शहर कचरे के ढेर में परिवर्तित हो गया है
त्नसड़कों व नालों को अतिक्रमणमुक्त कराने के साथ-साथ अवैध निर्माण पर रोक नहीं लगायी गयी
पथ, नाला निर्माण व अन्य नागरिक सुविधा को लेकर राशि उपलब्ध करायी गयी, लेकिन उनका कम किया गया उपयोग
कर्मचारियों व अधिकारियों से मिल कर विकास कार्य बाधित कर राजनीति करने में लिप्त रहना
क्यों भंग किया जाना चाहिए
स्थायी समिति व बोर्ड में लिये गये निर्णय का पालन नहीं होना
वर्षो से वार्डो की योजना का अधर में लटकाये रखना
बोर्ड की बैठक में सभी वार्ड पार्षदों का नहीं पहुंचना
वर्षो से ठोस कचरा प्रबंधन की राशि का उपयोग नहीं करना
मेयर के विरुद्ध निगम बोर्ड की समानांतर बैठक बुलाना
वर्षो से सार्वजनिक स्थानों पर यूरिनल व पेयजल की योजना को लटकाये रखना
निगम के अधिकारी, पक्ष व विपक्षी में समन्वय नहीं होना
क्यों भंग नहीं होना चाहिए
स्वायत्त संस्था में सरकार को दखल नहीं देना चाहिए
छह माह में पार्षदों के साथ-साथ मेयर व डिप्टी मेयर का दुबारा चुनाव करना होगा
चुनाव में अतिरिक्त राशि का व्यय होगा
निगम एक्ट के अनुसार जनप्रतिनिधि का अधिकार सरकार के हाथ में
सरकार की गलती से विकास कार्य प्रभावित और सजा निगम को क्यों
निगम की अराजक स्थिति के लिए सिर्फ सरकार है दोषी
नूतन राजधानी अंचल (दक्षिण) की योजनाओं की समीक्षा में कार्यपालक अभियंता सह नगर मुख्य अभियंता व कनीय अभियंता अनुपस्थित रहे. बैठक स्थगित करनी पड़ी. उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है.
नगर आयुक्त पर कार्रवाई के लिए पत्र
नगर विकास विभाग ने पटना नगर निगम के आयुक्त पर कार्रवाई के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र भेज दिया है.इससे पहले उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया था.
मुख्यमंत्री के निर्देश पर जनप्रतिनिधियों को एक और मौका दिया गया है. कानून अपना काम कर रहा है. निगमवासी को सुरक्षा देना सरकार का मुख्य उद्देश्य है. जनता के कार्यो को न करनेवालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू हो गयी है.
सम्राट चौधरी, नगर विकास मंत्री
विरोधी पार्षदों को सोचना चाहिए कि 150 करोड़ रुपये राज्य सरकार से मिले, लेकिन जनता परेशान है. हम भी निगम भंग करने के खिलाफ हैं. काम नहीं करनेवाले अधिकारी पर कार्रवाई हो, न कि निगम पर.
अफजल इमाम, मेयर
मेयर को चाहिए कि सभी पार्षदों को एकजुट करें. इसके बाद विशेष बैठक कर सरकार के खिलाफ आवाज उठाते.
दीपक कुमार चौरसिया, पार्षद, वार्ड 2