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बाजार से गायब हुईं दर्जनों दवाएं

गोपालगंज. जिले से कई महत्वपूर्ण दवाएं गायब हो गयी हैं. मरीजों के परिजन दवा के लिए बाजारों में भटक रहे हैं. केंद्र सरकार ने 348 दवाओं के मूल्यों पर शिकंजा कसा था. इधर, कंपनियों ने दवा बनाना कम कर दिया या बंद कर दिया है. ऐसे में कई दवाएं बाजार से गायब हो गयी हैं. […]

गोपालगंज. जिले से कई महत्वपूर्ण दवाएं गायब हो गयी हैं. मरीजों के परिजन दवा के लिए बाजारों में भटक रहे हैं. केंद्र सरकार ने 348 दवाओं के मूल्यों पर शिकंजा कसा था. इधर, कंपनियों ने दवा बनाना कम कर दिया या बंद कर दिया है. ऐसे में कई दवाएं बाजार से गायब हो गयी हैं. वेटिनसोल इंजेक्शन, वेटनोवेट, बीटामेथॉसान, रेनिटीडीन, सिफकडॉक्सिन, डाक्सीफ्लॉक्सीन, पेंटाप्रोजोल, रेबीप्रॉजोल एवं पैरामिसटामोल प्लेन समेत अन्य दर्जनों दवाओं की बाजार में तंगी पड़ गयी है. मई, 2013 में केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने सस्ती दवा उपलब्धता के लिए 348 दवाओं को मूल्य नियंत्रण के दायरे में लाया. कंपनियों ने इन सभी साल्टों का रेट तय किया. इन साल्टों को कई गुना ज्यादा दामों के बेचने की आदी रही दवा कंपनियों ने फिर से काट निकाल ली. कई दवाओं का उत्पादन बंद कर दिया गया. कई दवाओं में नये साल्ट मिला कर उसे डीपीसीयू से बाहर कर दिया गया. केंद्र सरकार 140 नयी दवाओं को भी मूल्य नियंत्रण सूची में लेने का प्रस्ताव तैयार कर चुकी है, किंतु मरीजों को इसका फायदा नहीं मिला. दवा कारोबारी कौशल त्रिपाठी का कहना है कि जब तक लागत के आधार पर दवाओं की कीमत तय नहीं की जायेगी, तब तक उपभोक्ता पिसते रहेंगे.

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