पटना सिटी: गुरु गोविंद सिंह अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड व ओपीडी में मरीजों को दवा नहीं मिल पा रही है. अस्पताल के स्टोर में दवा के नाम पर महज पांच दवाइयां ही उपलब्ध हैं. इस कारण मरीजों, डॉक्टरों व कर्मचारियों के बीच हर दिन कहा-सुनी होती है. स्थिति यह है कि दवाओं की कमी की वजह इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर व कर्मचारी रात में छिप कर काम करते हैं. मरीजों को किसी तरह का उपचार उपलब्ध कराने के बजाय दूसरे अस्पताल में रेफर कर देते हैं. अस्पताल में मरीजों की समस्या यहां भी खत्म नहीं होती है. समुचित सुविधा के अभाव में ओटी भी नहीं चल पा रहा है.
संख्या बढ़ी, सुविधा घटी
गुरु गोविंद सिंह अस्पताल के ओपोडी में हर दिन करीब तीन सौ की संख्या में मरीज पहुंचते हैं. डॉक्टर मरीजों को दवा लिख देते हैं, लेकिन स्टोर से उन्हें दवा नहीं मिल पाती. दवाओं के लिए बाजार के भरोसे ही रहना पड़ता है. स्थिति यह है कि ओपीडी में मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन सुविधा में बढ़ोतरी नहीं हुई है. फिलहाल दवाओं के नाम पर मरीजों को खांसी की दवा व स्लाइन सहित और एक- दो दवाइयां ही उपलब्ध हो पा रही हैं. गरीब मरीज अस्पताल में इस उम्मीद में आते हैं कि इलाज के साथ-साथ दवा भी मिल जायेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है.
दवा व संसाधन के अभाव में डॉक्टर इमरजेंसी में ड्यूटी करने से कतराते हैं. उन्हें इस बात का भय रहता है कि किसी भी समय उनके साथ अप्रिय घटना हो सकती है. ऐसी स्थिति में रात में इमरजेंसी में मरीजों के पहुंचने पर कर्मचारी ही मरीजों को समझा-बुझा कर दूसरे अस्प्ताल में जाने की सलाह देते हैं. इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर इमरजेंसी के बजाय समीप के दूसरे कमरे में रहते हैं. अस्पताल में ओटी की स्थिति भी बदतर है. ओटी में पुराने उपकरण हैं.
नहीं जुड़ सका एम्स से
अस्पताल को एम्स से जोड़ने की कवायद शुरू होने से लोगों को इस बात की उम्मीद हुई थी कि उपचार व्यवस्था में सुधार होगा. नये उपकरण स्थापित होंगे, लेकिन यह योजना भी पूरी तरह से विफल साबित हुई. कई कारणों से इस अस्पताल से एम्स नहीं जोड़ा जा सका.