फुलवारीशरीफ: इसलामिक कैलेंडर का आठवां महीना शाबान कहलाता है. शाबान का महीना इम्तिहान का महीना है. इस माह की 15वीं शाबान की रात बहुत ही फजीलत वाली होती है. हदीस शरीफ में आता है कि शब-ए-कद्र के बाद अगर किसी रात की फजीलत हो सकती है, तो वह शाबान की इसी 15 वीं रात की है. ये गुनाहों से निजात पाने की रात है.
शाबान के महीने में एक साल के आमाल (क्रिया कलाप) पेश होते हैं. विशेष तौर पर इस महीने में नेक आमाल करना चाहिए और यह बिल्कुल उसी तरह से जैसे लोग आम इम्तिहानों में किया करते हैं और इम्तिहान में पिछले कमजोरियों को दूर करें.
हजरत उसामा फरमाते हैं कि हजरत मोहम्मद (स.व.) ने फरमाया कि शाबान मेरा महीना है और रमजान अल्लाह का महीना है. इस महीने में हजरत मोहम्मद (स.व.) अधिक रोजे रखते थे, ताकि अगले माह आनेवाले रमजान में रोजा रखने में दिक्कत न हो.