पटना: समाज के हर वर्ग में भ्रूणहत्या हो रही है. चिकित्सकों को इसमें सहयोग नहीं करना चाहिए. बिहार में पीसीपीएनडीटी एक्ट का सख्ती से पालन होना चाहिए. वैसे चिकित्सक जो बेटे की चाह रखने वाले और बेटियों को मारनेवाले का सहयोग करते हैं, उनको पकड़ा जाये.
ये बातें रविवार को होटल पाटलिपुत्र अशोक में इंडियन एकेडमी ऑफ पेडिएट्रिक द्वारा आयोजित बेटी दिवस समारोह में डॉ एन विजयालक्ष्मी ने कहीं. उन्होंने कहा कि हमारे समाज में मां दुर्गा व सरस्वती की पूजा बड़े धूमधाम से मनायी जाती है, लेकिन सरस्वती पूजा करनेवाले लोग ही लड़कियों को शिक्षा से दूर रखते हैं और उन इलाकों में शिक्षा का स्तर बेहद खराब होता है. समाज में लड़के व लड़कियों के बीच का अंतर को पाटने के लिए सभी वर्ग में जागरूकता अभियान चलाना होगा, इसके बाद ही हमारे समाज की बेटियां सुरक्षित रहेंगी और लड़कियों की हत्या गर्भ में नहीं होगी. डॉ उत्पलकांत ने कहा कि महाराष्ट्र में सबसे अधिक कन्या भ्रूण हत्या दक्षिण मुंबई में होती है, जबकि यह इलाका अतिसंपन्न एवं सुरक्षित है. इस ताकत, कामयाबी एवं लोकप्रियता का क्या मतलब है, जब हम अपनी बेटियों की सुरक्षा नहीं कर पाते हैं.
बेटियां सारी जिंदगी समाज व घर के लिये दिन-रात मेहनत करती हैं और घर व बाहर का काम करने के बाद परिवार को संभालती हैं. ऐसी बेटियों की हत्या पाप है. डॉ एसके अग्रवाल ने कहा कि बेटी विश्व की सबसे सुंदरतम रचना है. समारोह में डॉ वीरेंद्र कुमार सिंह, डॉ सुजीत कुमार सिन्हा, डॉ एसए कृष्णा मौजूद थे. उद्घाटन आर्यभट नॉलेज विवि के कुलपति डॉ उदयकांत मिश्र ने किया.