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एक सीडीपीओ के जिम्मे 147 केंद्र

* आंगनबाड़ी केंद्रों में जैसे-तैसे चल रहा काम।। पंकज कुमार सिंह ।। पटना : पिछले छह माह में राज्य के 544 बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों (सीडीपीओ) में 48 निलंबित हो चुके हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों की कम उपस्थिति, पोषाहार में गुणवत्ता की कमी जैसे आरोपों में इन्हें निलंबित किया गया है. अधिकारियों के अभाव […]

* आंगनबाड़ी केंद्रों में जैसे-तैसे चल रहा काम
।। पंकज कुमार सिंह ।।
पटना : पिछले छह माह में राज्य के 544 बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों (सीडीपीओ) में 48 निलंबित हो चुके हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों की कम उपस्थिति, पोषाहार में गुणवत्ता की कमी जैसे आरोपों में इन्हें निलंबित किया गया है. अधिकारियों के अभाव में आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन में प्रतिकूल असर पड़ रहा है. वहीं, निरीक्षण से पोषाहार राशि आवंटन प्रक्रिया प्रभावित हो रही है.

* छह माह में 48 सस्पेंड
खास यह कि 544 सीडीपीओ के जिम्मे 80 हजार से अधिक केंद्र हैं. कई सीडीपीओ को अतिरिक्त प्रभार भी है. इस हिसाब से एक सीडीपीओ को 147 से 150 केंद्रों की मॉनीटरिंग करनी होती है. एक महीने में कम से कम 20 केंद्रों का निरीक्षण करना अनिवार्य है.

इस हिसाब से आठ महीने के बाद किसी केंद्र का दोबारा निरीक्षण संभव है. आंगनबाड़ी केंद्रों पर सहायिका और सेविका कार्यरत होती हैं. मूल रूप से केंद्रों को खोलना और नियमित संचालन की जिम्मेवारी इन्हीं पर होती है. 20-25 केंद्रों पर एक सुपरवाइजर का पद होता है. इस वर्ष ही फरवरी से 15 जून तक 30 सीडीपीओ को निलंबित किया गया है. अधिकतर सीडीपीओ पर एक ही तरह के आरोप हैं. केंद्रों पर बच्चों की कम उपस्थिति, केंद्रों का बंद होना और पोषाहार का गुणवत्तापूर्ण नहीं होना जैसे आरोपों पर निलंबित किया गया है.

फरवरी में आठ सीडीपीओ निलंबित हुईं. मार्च में 11, अप्रैल में तीन, मई में छह और जून में चार सीडीपीओ को निलंबित किया गया है. पिछले ढाई वर्षो में लगभग 100 सीडीपीओ को निलंबित किया गया, जबकि 150 को लघु दंड दिया गया. फरवरी में 34 सीडीपीओ को निलंबनमुक्त किया गया था.

हालांकि कुल 91677 केंद्र स्वीकृत हैं. पिछले विधानमंडल के बजट सत्र में सदस्यों ने आरोप लगाया था कि गलत तरीके से राशि वसूली के लिए सीडीपीओ को निलंबित करने की कार्रवाई की जाती है.

* बीडीओ या सीओ को प्रभार
निलंबन के बाद संबंधित बाल विकास परियोजना का प्रभार बीडीओ, सीओ या बगल की सीडीपीओ को दिया दिया जाता है. बीडीओ और सीओ को अपनी मूल जिम्मेदारी ही काफी अधिक होती है. सीडीपीओ को भी अतिरिक्त प्रभार का काम देखना मुश्किल होता है.

* ढाई वर्षो में 250 पर कार्रवाई
पिछले ढाई वर्षो में 150 सीडीपीओ को लघु दंड दिया गया है. 100 सीडीपीओ को निलंबित किया गया था. निलंबन के एक से दो वर्ष बाद इस वर्ष फरवरी में 34 सीडीपीओ को निलंबन मुक्त किया गया है. इसके पहले भी कुछ सीडीपीओ को निलंबन मुक्त भी किया गया है.

सीडीपीओ की जिम्मेवारी
त्नसभी आंगनबाड़ी केंद्रों का बेहतर संचालन सुनिश्चित करना व निरीक्षण
त्ननिर्धारित मात्र में पोषाहार व टीएचआर वितरण कराना, टीकाकरण करवाना
त्नकेंद्र संचालन के लिए आवश्यक राशि का बिल पास करना, सबला व पोषाक सहित अन्य योजनाओं का संचालन कराना
त्नआइसीडीएस व समाज कल्याण विभाग के निर्देश का पालन करना, केंद्रों की संचालन संबंधी रिपोर्ट डीपीओ व मुख्यालय को भेजना

– किस आरोप में निलंबन
* समय से आंगनबाड़ी केंद्र का नहीं खुलना या बंद पाया जाना
* केंद्र पर 15 से कम बच्चों की उपस्थिति, कम पोषाहार एवं टेक होम राशन (टीएचआर) वितरण
* पोषाहार राशि की स्वीकृति के लिए सेविका से घूस मांगना
* कार्यालय रजिस्टर में गड़बड़ी मिलना , विभागीय आदेश का पालन नहीं करना, भ्रष्टाचार

– केंद्रों की जिम्मेवारी
* शून्य से तीन वर्ष के 40 बच्चों को टीएचआर
* तीन से छह वर्ष के 40 बच्चों को केंद्र पर मिलता है पका भोजन
* 16 गर्भवती या शिशुवती महिलाएं व तीन किशोरी को टीएचआर
* प्रति माह एक आंगनबाड़ी केंद्र संचालन की राशि : 10500 रुपये
* इस वर्ष जुलाई से 19 जिलों में प्रति आंगनबाड़ी केंद्र संचालन के लिए 16 हजार रुपये प्रतिमाह मिलेंगे

गड़बड़ी व भ्रष्टाचार खास कर वित्तीय अनियमितता के मामले में सीडीपीओ और डीपीओ को निलंबित किया जाता है. मामला गंभीर नहीं रहने पर लघु दंड के रूप में वेतन वृद्धि रोक दी जाती है. सुधार नहीं होने और दो या तीन बार निलंबित होने बरखास्त किया जा सकता है.
परवीन अमानुल्लाह, समाज कल्याण मंत्री

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