पटना: ग्रामीण इलाकों में चलनेवाली योजनाओं में लूट की कहानी तो पहले से चर्चा में रही है. लेकिन, अब इस लूट के जरिये देखते-देखते धनकुबेर बन गये पंचायत प्रतिनिधि सरकार के निशाने पर आ गये हैं.
राज्य भर में एक दर्जन से अधिक ऐसे मुखियाओं को चिह्न्ति किया गया है, जिन्होंने आय से अधिक संपत्ति अजिर्त की है. कल तक जो साइकिल या मोटरसाइकिल पर चलते थे, वे अब बड़ी-बड़ी चारपहिया गाड़ियों की सवारी कर रहे हैं. इन मुखियाओं के पास करोड़ों की संपत्ति कहां से और कैसे आयी? इस पहलू की जांच हो रही है.
इसी के आधार पर इनके खिलाफ कार्रवाई होगी. पहले चरण में अररिया, पूर्णिया, गया, औरंगाबाद व मुजफ्फरपुर जिलों में ऐसे मुखियाओं को चिह्न्ति किया गया है, जिन्होंने आय के ज्ञात स्नेत से अधिक संपत्ति अजिर्त की है. इनमें पूर्व और वर्तमान मुखियाओं के अलावा नगर पर्षद व पंचायत समिति के सदस्यों के भी नाम शामिल हैं. निचले स्तर पर इस तरह के भ्रष्टाचार की जांच का भार आर्थिक अपराध कोषांग ने जिला पुलिस को सौंप दिया है. पूरे मामले की मॉनीटरिंग पुलिस मुख्यालय कर रहा है.
डीजीपी के निर्देश
डीजीपी अभयानंद ने आर्थिक अपराध इकाई कार्यालय में वरीय अधिकारियों के साथ विशेष बैठक कर कई निर्देश दिये हैं. आर्थिक अपराध के खिलाफ कार्रवाई के दौरान उन तथ्यों को सामने लाना है, जिनके आधार पर प्रमाणित किया जा सके कि अजिर्त संपत्ति आय से अधिक है. भ्रष्टाचार के सहारे अजिर्त की गयी है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, डीजीपी ने कहा है कि सुपरवाइजरी कैडर के पुलिस अधिकारी छापेमारी के दौरान कागजात व सामान की जब्ती सूची आदि तैयार करें. लेकिन, वरीय अधिकारी इससे अलग हट कर नये तथ्य निकालें, जिनके आधार पर आर्थिक अपराध व उससे अजिर्त संपत्ति प्रमाणित की जा सके. अररिया के बाद जिला पुलिस ने बेतिया में दो मुखियाओं के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति अजिर्त करने का मामला दर्ज किया है.