पटना: बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने जनवरी, 2007 में बिहार विद्युत वितरण अनुज्ञप्तिधारी के प्रदर्शन हेतु मानक एक्ट लाया था. इस एक्ट में विद्युत उपभोक्ताओं को निर्धारित समय सीमा में सेवाएं नहीं मिलने पर मुआवजा देने का प्रावधान है. मगर, जानकारी या जागरूकता के अभाव में लोग मुआवजे का दावा नहीं करते. इससे उनकी दिक्कतें खत्म नहीं होतीं.
कैसे मिलेगा मुआवजा : उपभोक्ता को सबसे पहले संबंधित आपूर्ति प्रमंडल के विद्युत कार्यपालक अभियंता के समक्ष आवेदन देकर लिखित शिकायत करनी होगी. शिकायत पर 15 दिनों के अंदर सुनवाई की जायेगी. निर्धारित समयावधि में सुनवाई नहीं होने पर उपभोक्ता पावर होल्डिंग कंपनी के उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम (कंज्यूमर ग्रिवांस रिड्रेसल फोरम) में अपील करने के लिए स्वतंत्र होगा. रिटायर्ड जिला एवं सत्र न्यायाधीश इस फोरम के अध्यक्ष हैं. इसमें उपभोक्ता व बिजली कंपनी दोनों पक्ष को सुन कर सुनवाई होगी. निर्णय से असंतुष्ट होने पर वह बिहार विद्युत विनायमक आयोग के पास अपील कर सकता है.
कड़ाई से एसओपी का हो अनुपालन
स्टैंडर्डस ऑफ परफॉरमेंस (एसओपी) के तहत निर्धारित समय में सेवा नहीं मिलने पर विनय कुमार सिंह नामक एक उपभोक्ता ने 30 मई, 2012 को आयोग में मामला दर्ज कराया था. इस मामले पर 30 नवंबर, 2012 को सुनवाई हुई, मगर आवेदक ही उपस्थित नहीं हुए. आयोग के अध्यक्ष यूएस पंजियार और सदस्य एससी झा व केपी सिंह ने मामले में फैसला सुनाते हुए पावर होल्डिंग कंपनी को एसओपी का कड़ाई से अनुपालन करने तथा इसका पालन नहीं करने वाले अधिकारी-कर्मचारी पर सख्त कार्रवाई का आदेश दिया.
कंपनी की तरफ से तत्कालीन अधीक्षण अभियंता ( कॉमर्शियल) रामचंद्र सिंह ने आश्वासन दिया कि बिजली तार व उपकरणों की मरम्मत के लिए बड़ी संख्या में जूनियर लाइनमैन, ग्रेड टू फीटर और ग्रेड फोर टेक्नीशियन की बहाली की गयी है. दूसरे अन्य मामले में होल्डिंग कंपनी पर जुर्माना भी लगाया जा चुका है. बुद्धा कॉलोनी इलाके के एक अपार्टमेंट में कनेक्शन के लिए राशि जमा कराने के बावजूद सात महीने तक कनेक्शन नहीं देने पर आयोग ने प्रति दिन 500 रु के हिसाब से करीब एक लाख रुपये का जुर्माना होल्डिंग कंपनी पर लगाया.