पटना: उत्तराखंड में भू-स्खलन व जल प्रलय में बिहार के कई लोग अभी भी फंसे हुए हैं. उन्हें इंतजार है किसी मसीहा का, जो उन्हें इस संकट की घड़ी से बाहर निकाल सके. जेडी वीमेंस कॉलेज के पीछे रहनेवाले संजीव सुमन (शिक्षा विभाग में उप निदेशक) अपनी पत्नी व तीन दोस्तों और उनके परिवार के साथ घटना के दिन से ही केदारनाथ से नीचे उतरने के रास्ते में फंसे हैं. उनके साथ स्टेट बैंक के ऑडिट मैनेजर नरेंद्र सिंह, पंकज सिंह और स्टेट बैंक रांची में मैनेजर डीएस झा और उनका परिवार भी है.
बस जिंदा हैं, यही बड़ी बात है: संजीव सुमन ने बुधवार की सुबह प्रो श्रीकांत सिंह (पटना विवि में सांख्यिकी के शिक्षक) को फोन पर आपबीती सुनायी. उनके मुताबिक संजीव ने बताया कि वे लोग केदार नाथ से दर्शन के बाद नीचे लौट रहे थे. 10-12 किलोमीटर का फासला तय कर चुके थे. गौरी कुंड से एक-डेढ़ किलोमीटर पहले अचानक मौसम खराब हुआ और आगे करीब 50-60 मीटर लंबाई तक सड़क धराशायी हो गयी.
इसमें कई लोग व गाड़ियां भी समा गयी. वह भयावह नजारा अभी भी आंखों के सामने नाच रहा है. कम से कम 20-25 लोग धरती में समा गये. अभी तक वहां राहत कार्य शुरू नहीं हो सका है. कुछ खाने को भी नहीं मिल रहा है. तीन दिनों से कुछ खाया-पिया नहीं है. पास में जो कुछ खाने का सामान था, वह भी खत्म हो चुका है. मोबाइल की बैटरी भी खत्म हो चुकी है. अभी तक बचे रहे हैं, यही सबसे बड़ी बात है.
बिहार सरकार से मदद की गुहार: पटना विवि में सांख्यिकी के शिक्षक प्रो श्रीकांत सिंह ने केदार नाथ धाम में फंसे अपने दोस्तों व उनके परिवार को सुरक्षित बाहर निकालने की पहल करने की मांग राज्य सरकार से की है. उन्होंने बताया कि उनके दोस्तों की हालत लगातार खराब हो रही है, लेकिन वहां का स्थानीय प्रशासन मदद के लिए आगे नहीं
आया है.