बैरिया के लोगों के लिए कचरा डंपिंग यार्ड जी का जंजाल बन गया है. निगमकर्मी जैसे-तैसे कचरे को डंप कर रहे हैं. योजना के मुताबिक अब तक कचरा प्रोसेसिंग प्लांट भी नहीं बना है, जिससे वे कचरा गिराने के बाद उसमें आग लगा देते हैं. इससे आस-पास के इलाके में बदबू, धूल व धुआं फैल जाता है. ऐसे में यदि हवा तेज हो, तो उनकी मुश्किलें और बढ़ जाती हैं. कचरे को वैज्ञानिक तरीके से डंप नहीं किये जाने के कारण भू-गर्भ जल प्रदूषित हो गया है. इससे बच्चे व बूढ़े, जिनमें रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, अक्सर बीमार रहते हैं. ऐसा नहीं कि निगम के अधिकारी इससे अनजान हैं. स्थानीय लोगों ने कई बार उनसे गुहार लगायी, पर कोई लाभ नहीं हुआ.
पटना: नगर निगम द्वारा केंद्र की नुरूम योजना के तहत ठोस कचरा प्रबंधन पर काम किया जाना है. इसमें डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन, ट्रांसपोर्टेशन व कचरा प्रोसेसिंग प्लांट लगाया जाना था. इस प्लांट को लगाने के लिए बैरिया में 72 एकड़ भूखंड का अधिग्रहण किया गया, जहां विद्युत उत्पादन प्लांट के साथ कम्पोस्ट बनानेवाले प्लांट लगाये जाने हैं. अधिगृहीत भूखंड पर कोई प्लांट तो नहीं लगा, पर कचरों का पहाड़ जरूर बन गया है. इससे डंपिंग यार्ड से करीब दो किमी की परिधि में रहनेवाले लोगों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. आलम यह है कि कोई अधिकारी डंपिंग यार्ड के नजदीक जाकर भी उसका निरीक्षण नहीं कर पा रहे. वे यार्ड के समीप स्थित भवन की छत से ही निरीक्षण कर लौट जाते हैं.
नहीं करायी गयी बाउंड्री
डंपिंग यार्ड के लिए वर्ष 2007 में भूमि अधिग्रहण किया गया, लेकिन वहां कचरा नहीं डंप किया जा रहा. निगम क्षेत्र से निकलनेवाले कचरे को न्यू बाइपास के दोनों किनारों या फिर पहाड़ी पर डंप किया जा रहा था. जब हाइकोर्ट ने नोटिस लिया, तो धीरे-धीरे बैरिया स्थित डंपिंग यार्ड में कचरा गिराना शुरू किया गया. इसी दौरान 2009 में निगम प्रशासन ने आउटसोर्सिग के तहत एटूजेड को कचरा उठाने की जिम्मेवारी सौंपी, तो आनन-फानन में पश्चिम से बाउंड्री करायी गयी तथा गेट पर धर्म कांटा भी लगा. लेकिन, अधिगृहीत भूखंड के पूरे क्षेत्र का बाउंड्री नहीं करायी गयी. धर्म कांटा भी कभी संचालित नहीं हुआ. आज कचरा लेकर आनेवाले टीपर या कॉम्पेक्टर जैसे-तैसे कचरा गिरा कर चले जाते हैं. इतना ही नहीं, मुख्य सड़क से डंपिंग यार्ड तक पहुंचनेवाली सड़क पर भी कचरा गिरा कर लौट जाते हैं.