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135 कॉलेज व 3000 आवेदक फर्जी,हर कॉलेज पर 38 एफआइआर

पटना : पिछड़ा, अति पिछड़ा, एससी व एसटी के छात्रों के नाम पर 200 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति हड़पने की साजिश का भंड़ाफोड़ हुआ है. यह साजिश दूसरे राज्य के फर्जी तकनीकी कॉलेज और सरकारी कर्मचारी व अधिकारियों ने रची थी. इसके लिए फर्जी तरीके से न केवल नामांकन दिखाया गया, बल्कि गलत जाति व […]

पटना : पिछड़ा, अति पिछड़ा, एससी व एसटी के छात्रों के नाम पर 200 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति हड़पने की साजिश का भंड़ाफोड़ हुआ है. यह साजिश दूसरे राज्य के फर्जी तकनीकी कॉलेज और सरकारी कर्मचारी व अधिकारियों ने रची थी.
इसके लिए फर्जी तरीके से न केवल नामांकन दिखाया गया, बल्कि गलत जाति व आय प्रमाणपत्र भी बनवाये गये. जांच में अब तक 135 तकनीकी कॉलेजों और तीन हजार फर्जी विद्यार्थियों की पहचान की गयी है. इसके साथ ही 234 अभिभावकों की भी पहचान की गयी है, जिन्होंने गलत आय व जाति प्रमाणपत्र तैयार कराया. अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़ा -अति पिछड़ा कल्याण विभाग ने फर्जी कॉलेजों के खिलाफ सभी 38 जिलों में अलग-अलग एफआइआर करने का आदेश दिया है.
राज्य सरकार की छात्रवृत्ति योजना की राशि हड़पने के लिए फर्जी तकनीकी कॉलेजों ने हर जिले से विद्यार्थियों के नाम, पता व प्रमाणपत्र जुटा कर विभाग में आवेदन दे दिया था. सूची में वैसे नाम भी थे, जो खेती या मजदूरी करते हैं.
चूंकि छात्रवृत्ति की राशि सीधे कॉलेज के खाते में जाती है, ऐसे में सूची में शामिल विद्यार्थियों को भी पता नहीं चला कि उनके नाम पर आवेदन दिये गये हैं. फिलहाल वित्तीय वर्ष 2013-14 की छात्रवृत्ति योजना में गड़बड़ी पकड़ी गयी है. फर्जी 135 कॉलेजों में से 131 राज्य के बाहर के और चार बिहार के हैं.
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार भले ही कॉलेज बिहार से बाहर दिखाया गया है, पर सभी संचालक बिहार के हैं. लेकिन, दस्तावेज के अनुसार उन्हें पकड़ने के लिए उच्चस्तरीय जांच से ही संभव होगा, क्योंकि बैंक अकाउंट से लेकर छात्र और संचालक के नाम फर्जी होने की आशंका है.
विभागीय सचिव हुकुम सिंह मीणा ने आशंका जाहिर की है कि इस गड़बड़ी का दायरा व्यापक है. चूंकि जांच के क्रम में ही पता चल गया, इसलिए करीब 200 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान नहीं किया गया. उन्होंने कहा, फिलहाल 10 जिलों की रिपोर्ट कंपाइल की गयी है, जिसमें 50 करोड़ के लिए आवेदन विभाग को मिले थे.
आशंका है कि करीब 800 आवेदन फर्जी होंगे. फर्जी पाये गये सभी 135 कॉलेजों पर सभी 38 जिलों में अलग-अलग एफआइआर दर्ज की जा रही है. यानी हर फर्जी कॉलेज पर 38-38 एफआइआर दर्ज होगी.
एक गांव से 300 आवेदन, तब शुरू हुई जांच
छात्रवृत्ति के लिए एक ही गांव से लगभग 300 इंजीनियरिंग छात्रों के आवेदनों को देखते ही विभागीय सचिव ने इसकी जांच की. पहले तो उन्होंने इस गांव को ही सम्मानित करने की सोची, पर जैसे ही पता चला कि सभी आवेदन फर्जी हैं, तो उन्होंने कई पदाधिकारियों की टीम बना कर सभी राज्यों में छात्रवृत्ति वाले छात्रों के कॉलेजों का सत्यापन शुरू किया.
इसमें 135 फर्जी कॉलेजों की पहचान हुई. विभागीय सचिव हुकुम सिंह मीणा ने कहा कि राज्य के लगभग नौ हजार टोला सेवकों को आवेदनों के जांच की जिम्मेवारी दी गयी. टोला सेवकों को फॉर्मेट देकर कई सूचनाएं मांगी गयी थीं, जिनमें सभी गड़बड़ियां पकड़ी गयीं. जांच के क्रम में एक टोला सेवक भी फर्जी तरीके से छात्रवृत्ति लेते पकड़ा गया. उन्होंने बताया कि कॉलेज तो राजस्थान में दिखाया गया, जबकि कॉलेज का बैंक अकाउंट बनारस में और छात्र हैदराबाद में मजदूरी करते पाया गया.
क्या है योजना
वर्ष 2006-07 से इंजीनियरिंग व अन्य तकनीकी शिक्षा में कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों को आर्थिक सहायता देने के लिए योजना प्रारंभ हुई. मकसद था कि तकनीकी शिक्षा में गरीबी बाधक न बने. पहले साल पिछड़ा अति पिछड़ा छात्रवृत्ति योजना के तहत 59888 छात्रों को 1084.10 लाख रुपये का लाभ मिला था.
वर्ष 2012-13 में एससी व एसटी के करीब दो लाख विद्यार्थियों को 29 करोड़ रुपये दिये गये थे. इसका लाभ उन्हीं परिवारों को मिलता है, जिनकी वार्षिक आय ढाई लाख रुपये से कम हो.
छात्रवृति के आवेदन की तिथि अब 31 तक
पटना : पिछड़ा और अतिपिछड़ा छात्रों को छात्रवृत्ति के लिए ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि को बढ़ा कर 31 अक्तूबर कर दिया गया है. पहले आवेदन की अंतिम तिथि 15 अक्तूबर निर्धारित थी. पिछड़ा-अतिपिछड़ा कल्याण विभाग के अधिकारी ने बताया कि अब तक कुल 4.52 लाख छात्रों ने ऑनलाइन आवेदन किया है.
इनमें 2012-13 के 86 हजार वैसे छात्र हैं, जो छात्रवृत्ति की नवीकरण के लिए आवेदन किया है. अब राज्य से बाहर भी पढ़ाई करनेवाले पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग के छात्रों को छात्रवृत्ति मिलेगी.

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