22.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पंचायतों के चुनावी नतीजों को सहेजने की जरूरत

पटना: समाजशास्त्री योगेंद्र यादव ने कहा कि सटीक आंकड़े हों, तो निष्कर्ष पर पहुंचना आसान होता है. जमीनी आंकड़े ही जमीन की तासीर और सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तन की कारक ताकतों को समझा देते हैं. माइक्रो स्टडी से टॉप लेवल पर होनेवाले सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तनों को बखूबी समझा जा सकता है. लेकिन, दुर्भाग्य है कि आज तक इस […]

पटना: समाजशास्त्री योगेंद्र यादव ने कहा कि सटीक आंकड़े हों, तो निष्कर्ष पर पहुंचना आसान होता है. जमीनी आंकड़े ही जमीन की तासीर और सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तन की कारक ताकतों को समझा देते हैं.

माइक्रो स्टडी से टॉप लेवल पर होनेवाले सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तनों को बखूबी समझा जा सकता है. लेकिन, दुर्भाग्य है कि आज तक इस देश के किसी भी राज्य में लोकतंत्र की प्राथमिक इकाई पंचायत के चुनावी नतीजों को ठीक से नहीं सहेजा गया.

यह काम जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान बखूबी कर सकता है. बिहार में इस काम में थोड़ी सहूलियत भी है कि यहां एक तो काफी लंबे अंतराल के बाद पंचायतों के चुनाव हुए और पिछले तीन चुनावों में पंचायतों का भूगोल बदला नहीं है.

श्री यादव ने कहा कि इस अध्ययन में पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि भी जानने में मदद मिलेगी. इससे यह भी पता चलेगा कि समाज को नियंत्रित करनेवाली ताकत किन हाथों में जा रही है और उसके सोच में क्या नयापन है. बिहार में हो रहे परिवर्तनों के विषय में भी संस्थान के निदेशक श्रीकांत व उपस्थित पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं से विमर्श किया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें