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यहां लगाया है पैसा, तो हो जाएं सतर्क
पटना : सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने इस वर्ष 57 चिट फंड कंपनियों में पैसा जमा करने पर रोक लगा दी. इन सभी कंपनियों के नाम सेबी के वेबसाइट पर भी जारी किये गये हैं. लेकिन, ये सभी कंपनियां बिहार में निवेशकों से अब भी पैसा ले रही हैं. सेबी के इस […]
पटना : सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने इस वर्ष 57 चिट फंड कंपनियों में पैसा जमा करने पर रोक लगा दी. इन सभी कंपनियों के नाम सेबी के वेबसाइट पर भी जारी किये गये हैं. लेकिन, ये सभी कंपनियां बिहार में निवेशकों से अब भी पैसा ले रही हैं.
सेबी के इस निर्देश से बचने के लिए एनबीसी या चिट फंड कंपनियों ने ठगी करने का नया फंडा निकाला है. पिछले छह महीने या साल भर के दौरान ऐसी कंपनियों द्वारा सोसाइटी बना कर चिट फंड या एनबीसी का काम करने का चलन काफी बढ़ा है. ऐसी कई कंपनियां हैं, जिनके चेयरमैन या डायरेक्टर समेत अन्य किसी के नामों में कोई बदलाव नहीं आया है.
सिर्फ इनके ‘मोडस ऑपरेंडी’ (कंपनी संचालित करने के तौर-तरीके) में बदलाव आया है. अब कंपनियां रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी (आरओसी) से रजिस्ट्रेशन नहीं करवा कर केंद्रीय कृषि मंत्रलय के अंतर्गत आनेवाले सोसाइटी ऑफ रजिस्ट्रेशन (एसओआर) से मल्टी स्टेट सोसाइटी बनाने का रजिस्ट्रेशन करवा कर चिट फंड का काम करती हैं. आरओसी से रजिस्ट्रेशन लेनेवालों की संख्या में काफी कमी आयी है. आम लोगों को धोखा देने के लिए कंपनियों की इस तरकीब के पीछे सबसे बड़ा कारण सेबी या आरबीआइ की निगाहों से बचना है.
सोसाइटी बनाने से ये एनबीसी आसानी से अपना कारोबार चलाती हैं. इन्हें न तो आरबीआइ को हिसाब देना होता है और न ही सेबी के पास किसी तरह का अपना लेखा-जोखा जमा कर कर रजिस्ट्रेशन कराना या अनुमति लेनी पड़ती है. हाल के दिनों कई एनबीसी ने आरओसी से अपना रजिस्ट्रेशन रद्द करा सोसाइटी एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराया है, लेकिन इन्होंने अपना कारोबार नहीं बदला है.
ऐसी कंपनियों पर जब तक कोई व्यक्ति एफआइआर नहीं करता, तब तक इन पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो पाती है. इनके खिलाफ जिला स्तर पर डीएम से शिकायत करने पर कार्रवाई हो सकती है. सभी जिलों में चिट फंड पदाधिकारी के तौर पर नामित एडीएम ऐसी शिकायतों पर एनबीसी या चिट फंड की जांच करने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं.
पैसा ठगी के लिए तरह-तरह के सब्जबाग
सोसाइटी बना कर ठगी करनेवाली एनबीसी लोगों को तरह-तरह के सब्जबाग दिखाती हैं. कुछ कंपनियां पेड़ लगाने के नाम पर, कुछ आलू की खेती, भूखंड में निवेश करने समेत अन्य तरह के ‘वित्तीय स्वर्ग’ दिखा कर ठगी का काम करती हैं. बिहार में जमीन के प्लॉट में निवेश करानेवाली काफी कंपनियां काम करती हैं. ये कंपनियां किसी स्थान पर बड़ा जमीन का प्लॉट खरीद लेती हैं. फिर इसे दिखा कर कई तरह की स्कीम लोगों के सामने रखती हैं.
इसमें यह भी कहा जाता है कि अगर एक या कुछ सालों में जमीन नहीं मिलेगी, तो आपका पैसा दोगुना करके लौटा दिया जायेगा. इसमें यह ध्यान देनेवाली बात होती है कि ऐसी कोई भी कंपनी किसी प्लॉट की रजिस्ट्री व्यक्ति विशेष के नाम पर नहीं करती है और कुछ समय बाद स्कीम की अवधि पूरी होने से पहले पैसा लेकर चंपत हो जाती है. प्लॉट के नाम पर निवेश करानेवाली कंपनियां अगर पहले आपके नाम पर प्लॉट की रजिस्ट्री कर देती हैं, तो यह निवेश काफी हद तक सुरक्षित साबित हो सकता है. लेकिन ऐसे मामलों में अक्सर यही देखने को मिलता है कि कंपनियां प्लॉट की रजिस्ट्री पहले नहीं करती हैं.
किसी एनबीसी का सेबी से रजिस्ट्रेशन नहीं
राज्य में जितनी भी एनबीसी काम कर रही है, उनमें से एक का भी रजिस्ट्रेशन सेबी से नहीं है. नियमानुसार, आम लोगों से कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम (सीआइएस) के माध्यम से पैसा डिपोजिट लेनेवाली एनबीसी या चिट फंड कंपनियों को सेबी से रजिस्ट्रेशन कराना होता है. इसके अलावा जो एनबीसी शेयर या डिविडेंड के माध्यम से आम लोगों से पैसा लेती हैं, उन्हें सेबी से इसके लिए अनुमति लेनी पड़ती है.
लेकिन, परंतु राज्य में आज तक न ही किसी एनबीसी ने रजिस्ट्रेशन कराया है और न ही किसी तरह की अनुमति ही ली है. ऐसी कंपनियों को चिह्न्ति कर इन पर इस साल अब तक सेबी ने रेड अलर्ट जारी कर इनमें पैसा नहीं रखने की सलाह निवेशकों को दे रखा है. इनमें कई ऐसी कंपनियां भी हैं, जिन्हें ब्लैकलिस्टेड कर दिया गया है.
वेबसाइट पर उपलब्ध है पूरी जानकारी
ऐसी 57 नॉन बैंकिंग कंपनियों के बारे में सेबी की वेबसाइट पर विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सकती है. सेबी की वेबसाइट पर उन एनबीसी के भी नाम मौजूद हैं, जिन्हें पैसा जमा कराने के लिए स्वीकृति मिली हुई है. आरबीआइ की वेबसाइट पर भी ऐसी कंपनियों के नाम हैं. सेबी और आरबीआइ की हेल्पलाइन नंबर पर भी इन कंपनियों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है.
इसमें करीब दो दर्जन नाम उन कंपनियों के भी हैं, जिनकी सूची पहले से राज्य की आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) के पास मौजूद है. सेबी कई एनबीसी के बारे में जांच कर रही है. सेबी कंपनी के रजिस्टर्ड पते या मुख्यालय में जाकर छानबीन करती है. इस वजह से दोनों की सूची में कुछ नाम में अंतर हो सकता है, लेकिन दोनों की सूची में दर्ज नाम फर्जी एनबीसी के ही हैं. कई चिट फंड का संचालन सिर्फ राज्य भर में ही होने और इनके खिलाफ किसी तरह की शिकायत नहीं मिलने से भी ये सेबी की सूची में नहीं हैं. सेबी की सूची में कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं, जिनसे कई तरह के सवाल किये गये हैं.
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