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अंक सीमा घटा सकेगी सरकार

एससी-एसटी के 67 छात्रों के नामांकन की उम्मीद बढ़ी, हाइकोर्ट ने कहा पटना : राज्य के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस प्रथम वर्ष में नामांकन का इंतजार कर रहे अनुसूचित जाति और जनजाति के 67 छात्रों को राहत मिल सकती है. पटना हाइकोर्ट के न्यायाधीश वीपी वर्मा के एकलपीठ ने सरकार से कहा है कि वह […]

एससी-एसटी के 67 छात्रों के नामांकन की उम्मीद बढ़ी, हाइकोर्ट ने कहा
पटना : राज्य के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस प्रथम वर्ष में नामांकन का इंतजार कर रहे अनुसूचित जाति और जनजाति के 67 छात्रों को राहत मिल सकती है. पटना हाइकोर्ट के न्यायाधीश वीपी वर्मा के एकलपीठ ने सरकार से कहा है कि वह आरक्षित कोटे के 67 छात्रों का एमसीआइ के निर्धारित मानदंडों के इतर एमबीबीएस प्रथम वर्ष में दाखिला लेने का निर्णय ले सकती है.
एमसीआइ ने निर्धारित न्यूनतम 40 प्रतिशत की अंक सीमा को कम करने से मना कर दिया है. इसके बाद कोर्ट आये छात्रों की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि सरकार को नामांकन संबंधित प्रावधानों में अधिकार प्राप्त है कि वह निर्धारित अंक सीमा में कमी कर सकती है. कोर्ट ने इस संबंध में उचित निर्णय लेकर 27 सितंबर को जानकारी देने को कहा है. कोर्ट ने खुद नामांकन देने के निर्देश दिये जाने की बजाय सरकार से कहा कि वह ऐसा कर सकती है.
एमबीबीएस प्रथम वर्ष की कक्षा में नामांकन के लिए तीन काउंसेलिंग हो चुकी है. कोर्ट के निर्देश पर मंगलवार को जब प्रधान अपर महाधिवक्ता ने कहा कि अभी राज्य के मुख्य सचिव देश से बाहर हैं, तो कोर्ट ने कहा कि कोई अधिकारी तो होंगे, जिन्हें इस पर निर्णय लेना चाहिए. सरकारी वकील ने कोर्ट को इस बात की जानकारी दी कि राज्य सरकार ने एमसीआइ और केंद्र सरकार को एमबीबीएस प्रथम वर्ष की कक्षा में नामांकन लेने के लिए न्यूनतम 40 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता को 32 प्रतिशत पर लाने का अनुरोध किया था, लेकिन एमसीआइ ने इससे मना कर दिया है.
इस पर कोर्ट का तर्क था कि राज्य सरकार को खुद को यह अधिकार हासिल है. इधर, अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल अनुसूचित जाति आयोग से इस मामले में हस्तक्षेप का अनुरोध किया है. आयोग ने कहा कि छात्रों की गुहार को देखते हुए बिहार संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा समिति के साथ बैठक में आयोग निर्धारित 40 प्रतिशत से कट ऑफ मार्क्‍स कम किये जाने पर सहमत हो गया था, लेकिन अब इससे मुकर रहा है.
मामला
राज्य सरकार ने एमसीआइ और केंद्र सरकार को एमबीबीएस प्रथम वर्ष की कक्षा में नामांकन लेने के लिए न्यूनतम 40 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता को 32 प्रतिशत पर लाने का अनुरोध किया था. लेकिन, एमसीआइ ने निर्धारित न्यूनतम 40 प्रतिशत की अंक सीमा को कम करने से मना कर दिया.

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