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दो करोड़ खर्च, पर पेट खाली

पटना : स्वास्थ्य विभाग ने हेल्थ मैनेजरों की नियुक्ति इसी लिये की है कि मरीजों को परेशानी नहीं हो, लेकिन पीएमसीएच में तैनात हेल्थ मैनेजर मरीजों को छोड़ बाकी सभी चीजों का ख्याल रखते हैं. मरीजों के बेड पर चादर है या नहीं, खाना मिला या नहीं, दवा मिल रही है या नहीं, डॉक्टर राउंड […]

पटना : स्वास्थ्य विभाग ने हेल्थ मैनेजरों की नियुक्ति इसी लिये की है कि मरीजों को परेशानी नहीं हो, लेकिन पीएमसीएच में तैनात हेल्थ मैनेजर मरीजों को छोड़ बाकी सभी चीजों का ख्याल रखते हैं.

मरीजों के बेड पर चादर है या नहीं, खाना मिला या नहीं, दवा मिल रही है या नहीं, डॉक्टर राउंड ले रहे हैं या नहीं आदि के बारे में उनको पीएमसीएच अधीक्षक को रिपोर्ट करनी है, लेकिन एक भी हेल्थ मैनेजर ऐसा नहीं कर रहा है.

सिस्टर इंचार्ज की है जिम्मेवारी : वार्ड में भरती मरीज खाना लेंगे या नहीं, इसकी जानकारी सिस्टर इंचार्ज लिखित रूप में भंडार को देती है. भंडार से वार्ड कर्मचारी खाना व नाश्ता लेकर मरीजों के पास जाता है, जो मरीज खाना नहीं लेता है, उसका नाश्ता बढ़ा दिया जाता है. लेकिन इस मामले की तहकीकात की गयी, तो ऑर्थो, जेनरल सजर्री, प्लास्टिक सजर्री व यूरोलॉजी के मरीजों को सिर्फ आधा अधूरा नाश्ता ही दिया जाता है और सिस्टर इंचार्ज मरीजों से कुछ नहीं पूछती है.इसमें जांच का बिंदु यह है कि सिस्टर इंचार्ज आखिर भंडार को क्या लिख कर देती है, जब मरीज से खाने के बारे में कोई बात ही नहीं करती है तो.

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