पटना : बिहार सरकार की नौकरियों में 11 अप्रैल, 2019 से सभी तरह की प्रोमोशन पर रोक लगी है. राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभाग एवं सभी सरकारी दफ्तरों में विभागीय प्रोन्नति समिति की बैठक पर रोक लगा रखी है. पटना उच्च न्यायालय में चल रहे सुशील कुमार सिंह एवं अन्य बनाम राज्य सरकार के एक मामले में आये निर्देश के बाद 2014 से ही प्रदेश में सभी तरह के प्रोमोशन पर राेक लगी है.
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11 अप्रैल, 2019 से बिहार में सभी तरह के प्रोमोशन पर लगी है रोक
पटना : बिहार सरकार की नौकरियों में 11 अप्रैल, 2019 से सभी तरह की प्रोमोशन पर रोक लगी है. राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभाग एवं सभी सरकारी दफ्तरों में विभागीय प्रोन्नति समिति की बैठक पर रोक लगा रखी है. पटना उच्च न्यायालय में चल रहे सुशील कुमार सिंह एवं अन्य बनाम […]
इसके खिलाफ राज्यकर्मियों के आंदोलन भी हुए, पर सरकार ने अपना आदेश वापस नहीं किया. सुशील कुमार सिंह एवं अन्य के मामले में पटना हाइकोर्ट ने 2016 में प्रोमोशन पर लगी रोक काे कंडीशनल हटाने का आदेश यह कहते हुए दिया था कि सुशील कुमार सिंह एवं अन्य मामले में अंतिम आदेश से प्रोन्नति पर फर्क पड़ सकता है.
कोर्ट ने सभी विभागों को कैडर वार अनुसूचित जाति और जनजाति के कर्मियों की संख्या बताने को कहा था, लेकिन यह आंकड़ा सरकार कोर्ट को उपलब्ध नहीं करा पायी. हालांकि , कोर्ट की हरी झंडी मिलने के बाद सरकार ने 2016 में कंडीशनल प्रोन्नति देना शुरू कर दिया.
करीब दो साल तक सभी वर्गों में प्रोमोशन आरंभ हुए. इसी बीच अरविंद कुमार, गिरिश नंदन व योगेश्वर पांडेय एवं अन्य ने राज्य सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की. कोर्ट ने पहली अप्रैल, 2019 को सरकार को प्रोमोशन पर रोक लगाने का आदेश दिया.
एनडीए सरकार की प्रतिबद्धता विधिसम्मत
उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा है कि दलितों को न्याय दिलाने के लिए एनडीए सरकार की प्रतिबद्धता विधिसम्मत सिद्ध हो गयी है.
कोर्ट ने 2018 के एससी-एसटी उत्पीड़न निवारण संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया है. इससे दलितों की शिकायत पर आरोपित को तुरंत गिरफ्तार किया जा सकेगा.
मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी के उत्पीड़न की शिकायत पर तुरंत गिरफ्तारी की जगह जब डीएसपी स्तर के अधिकारी की जांच के बाद कार्रवाई का आदेश दिया था, तब राजद और कांग्रेस ने इस अदालती मामले पर दलितों को मोदी सरकार के खिलाफ भड़का कर हिंसा भड़कायी थी.
कोर्ट के उस आदेश को बेअसर करने के लिए मोदी सरकार ने जब 2018 में दलित-आदिवासी उत्पीड़न निवारण संशोधन कानून पारित कराया, तब दलितों को गुमराह करने वालों की जुबान बंद हो गई थी. बिहार सहित कई राज्यों में आगजनी और तोड़फोड़ कराने वालों को अब जनता से माफी मांगनी चाहिए. एससी-एसटी संशोधन कानून बनवाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार मानना चाहिए.
पुनर्विचार याचिका दायर करे केंद्र सरकार: तेजस्वी यादव
राजद नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर केंद्र सरकार को चुनौती दी कि वह सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण संबंधी आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करे.
पहले बीमारी खत्म करो : लालू प्रसाद
इसी मुद्दे पर राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट किया है कि आरक्षण खत्म करने की बात करने वाले जातियां खत्म करने की बात क्यों नहीं करते? इसलिए कि जातियां उन्हें श्रेष्ठ बनाती हैं? समाज में ऊंचा स्थान देकर बेवजह उन्हें स्वयं पर अहंकार करने का अवसर देती हैं. हम कहते हैं पहले बीमारी खत्म करो ,लेकिन वे कहते हैं, नहीं पहले इलाज खत्म करो.
आरक्षण पर आये फैसले के खिलाफ है लोजपा
लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद चिराग पासवान ने लोकसभा में प्रोमोशन में आरक्षण का मुद्दा उठाया. प्रोमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जो फैसला दिया गया है, उसका विरोध किया है. इससे जुड़े सभी एक्ट को नौवीं अनुसूची में डालने की मांग की.
सरकार एससी-एसटी एक्ट मामले को भी सुलझायेगी : ललन
लोकसभा में जदयू संसदीय दल के नेता और सांसद ललन सिंह ने कहा कि इस विषय पर पूरा सदन एकमत है. सरकार सक्षम है इस मामले को सुलझाने में.
आरक्षण समाप्त करने की साजिश : मांझी
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने प्रोमोशन में आरक्षण के मामले में आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चिंता जताते हुए एक बार फिर से अपनी मांग दोहरायी है. मांझी में कहा कि केंद्र सरकार सरकारी नौकरियों का निजीकरण कर आरक्षण को खत्म की साजिश कर रही है.
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