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भू-जल के दोहन पर नियंत्रण को बनेगा कानून, जल्द आयेगा बिल

पटना : उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि भू-जल रिचार्ज और जल संरक्षण जरूरी है. भूजल का दोहन काफी हो रहा है. इसको ध्यान में रखते हुए जल नियंत्रण और संरक्षण के लिए बिहार सरकार काम कर रही है. बिहार भूजल विकास एवं प्रबंधन का विनियमन एवं नियंत्रण अधिनियम, 2006 में बनाया गया था. […]

पटना : उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि भू-जल रिचार्ज और जल संरक्षण जरूरी है. भूजल का दोहन काफी हो रहा है. इसको ध्यान में रखते हुए जल नियंत्रण और संरक्षण के लिए बिहार सरकार काम कर रही है. बिहार भूजल विकास एवं प्रबंधन का विनियमन एवं नियंत्रण अधिनियम, 2006 में बनाया गया था. लेकिन, वह प्रभावी नहीं हो पाया था.

अब जल्द ही भूजल संरक्षण विधेयक लाने की तैयारी है. बिहार सरकार आने वाले दिनों में इसे लागू कर देगी, ताकि जमीन के नीचे के पानी के दोहन को नियंत्रित किया जा सके. मोदी रविवार को एनआइटी में इंडियन वाटर वर्क्स एसोसिएशन के 52वें वार्षिक अधिवेशन के दौरान ‘जल ज्ञान शिखर सम्मेलन’ के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे.
सुशील मोदी ने कहा कि पेयजल का 75% हिस्सा बाथरूम और रसोईघर से होकर गंदे पानी के तौर पर नालियों में बहा दिया जाता है. इस पानी के पुनः उपयोग की सस्ती तकनीक विकसित करने की जरूरत है. जमीनी जल स्तर को रिचार्ज और वर्षा जल को संचय करके ही पानी के संकट का सामना किया जा सकता है, क्योंकि पानी किसी प्रयोगशाला और फैक्टरी में नहीं बनाया जा सकता है.
मार्च तक पहुंचेगा घरों में नल के जरिये जल
मोदी ने कहा कि 29 हजार करोड़ खर्च कर बिहार सरकार इस साल मार्च तक सभी घरों में नल के जरिये जल उपलब्ध करा देगी. वहीं, ‘जल जीवन मिशन’ के तहत 3.50 लाख करोड़ खर्च कर प्रधानमंत्री ने 2024 तक देश के सभी घरों में नल का जल पहुंचाने का निश्चय किया है.
पूर्व के नीति निर्धारकों के कारण जल का हुआ दोहन
पूर्व के नीति निर्धारकों की गलतियों के कारण देश में पानी का अनियंत्रित दोहन हुआ है. पंजाब में धान और दक्षिण के राज्यों कर्नाटक आदि में गन्ना की खेती को प्रोत्साहित करने का ही नतीजा है कि वहां भू-जल स्तर तेजी से नीचे गिरा है. मुफ्त बिजली से किसानों ने पानी का अनियंत्रित दोहन किया. नतीजतन आज पंजाब में भू-जल स्तर 600 से 700 फुट नीचे चला गया है. चेन्नई सहित देश के अनेक बड़े शहरों में गंभीर जल संकट है.
नयी टेक्नोलॉजी को लेकर होगा वर्कशॉप
पीएचइडी विभाग के सचिव जितेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि नयी टेक्नोलॉजी के बारे में जानकारी मिली है. सभी कंपनियों के साथ सोमवार को बैठक होगी और उनके नये उपयोग के बारे में देखा जायेगा. बिहार पहला राज्य बनेगा, जो 2020 अप्रैल-मई तक हर घर नल से जल पहुंच जायेगा. यह व्यवस्था स्टेट फंड से हुआ है. इंडियन वाटर वर्क्स एसोसिएशन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष डॉ डीपी सिंह ने कहा कि पानी के प्रबंधन के लिए संबंध में कानून लाना जरूरी है.
ग्राउंड वाटर पर भी नियम बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में आये 120 शोध पत्र को राज्य और केंद्र सरकार को सौंपा जायेगा और जल संरक्षण को लेकर कानून बनाने की मांग की जायेगी. मौके पर एनआइटी के निदेशक डॉ पीके जैन, कोमल प्रसाद, एनएस मौर्या, डॉ एलबी रॉय, एम सत्यनारायण, केके सोनगढ़िया के साथ पीएचइडी के कई इंजीनियर के साथ देश-विदेश से आये लोग शामिल थे.
पानी के पुन: उपयोग की सस्ती तकनीक विकसित करने की जरूरत
पटना . राज्य में भू-जल रीचार्ज की व्यवस्था नहीं रहने और जल संरक्षण की नीति के अभाव में भू-जल स्तर में लगातार कमी हो रही है. इसकी पुष्टि पीएचइडी) और लघु जल संसाधन विभाग में टेलीमेटरी (भू-जलस्तर नापने वाला यंत्र) की रिपोर्ट के आधार पर हुई है. भू-जल स्तर में दिसंबर, 2018 में राज्य के कई इलाकों में एक सप्ताह के दौरान करीब छह से सात सेंटीमीटर की कमी पायी गयी थी. भागलपुर जिले में एक अक्तूबर, 2018 से भू-जल स्तर में गिरावट हो रही थी. वहां 15 दिनों में तीन इंच भू-जल स्तर नीचे गिरा था और ढाई महीने में करीब एक फुट नीचे चला गया था.
मुजफ्फरपुर जिले में चार महीने में (सितंबर से दिसंबर) जल स्तर सामान्य से सात फुट तक नीचे चला गया था. गया जिले के खिजिरसराय प्रखंड में सात दिनों के दौरान 20 सेंटीमीटर की कमी आयी थी. वहीं, गया जिले के बेलागंज प्रखंड में एक सेंमी की बढ़ोतरी हुई है. सारण जिले में छपरा सदर प्रखंड के महाराजगंज गांव और रिविलगंज प्रखंड के मुकरेड़ा, शेखपुरा के शहरी क्षेत्र में भू-जल स्तर में गिरावट हो रहा था.
पटना . राज्य में भू-जल रीचार्ज की व्यवस्था नहीं रहने और जल संरक्षण की नीति के अभाव में भू-जल स्तर में लगातार कमी हो रही है. इसकी पुष्टि पीएचइडी) और लघु जल संसाधन विभाग में टेलीमेटरी (भू-जलस्तर नापने वाला यंत्र) की रिपोर्ट के आधार पर हुई है. भू-जल स्तर में दिसंबर, 2018 में राज्य के कई इलाकों में एक सप्ताह के दौरान करीब छह से सात सेंटीमीटर की कमी पायी गयी थी.
भागलपुर जिले में एक अक्तूबर, 2018 से भू-जल स्तर में गिरावट हो रही थी. वहां 15 दिनों में तीन इंच भू-जल स्तर नीचे गिरा था और ढाई महीने में करीब एक फुट नीचे चला गया था. मुजफ्फरपुर जिले में चार महीने में (सितंबर से दिसंबर) जल स्तर सामान्य से सात फुट तक नीचे चला गया था. गया जिले के खिजिरसराय प्रखंड में सात दिनों के दौरान 20 सेंटीमीटर की कमी आयी थी.
वहीं, गया जिले के बेलागंज प्रखंड में एक सेंमी की बढ़ोतरी हुई है. सारण जिले में छपरा सदर प्रखंड के महाराजगंज गांव और रिविलगंज प्रखंड के मुकरेड़ा, शेखपुरा के शहरी क्षेत्र में भू-जल स्तर में गिरावट हो रहा था.
ये हैं कारण
भू-जल से सिंचाई करना
जल संचय का अभाव
बरसाती पानी को ग्राउंड वाटर तक नहीं पहुंचना
कम बारिश
2019 में अक्तूबर से दिसंबर तक भी गिरा भू-जल
राज्य के विभिन्न हिस्सों में पिछले साल 14 अक्तूबर के बाद भू-जल स्तर में कमी दर्ज की गयी है. 14 अक्तूबर और 29 दिसंबर, 2019 की टेलीमेटरी की रिपोर्ट के अनुसार करीब ढाई महीने में गया जिले में यदि बेलागंज, बोधगया, मोहरा और अतरी प्रखंड को छोड़कर लगभग सभी जगह भू-जल स्तर में कमी हुई है.
आठ से 25 अगस्त, 2019 के दौरान 18 दिनों में राज्य के विभिन्न इलाकों में भू-जल स्तर औसतन एक से 18 फुट नीचे चला गया था. नालंदा जिले के बेन प्रखंड में आठ से 25 अगस्त के दौरान यह करीब 18 फुट नीचे गया था. वहीं, औरंगाबाद जिले के रफीगंज, बक्सर के चौसा, बांका के बेलहर, कैमूर के चांद और चैनपुर प्रखंडों में भू-जल स्तर करीब 10 फुट तक नीचे चला गया था. इसके अलावा अधिकतर प्रखंडों में करीब एक फुट तक इसमें कमी आयी थी.
37 जिलों के पानी में आर्सेनिक, फ्लोराइड व आयरन
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि पानी की प्रचुरता वाले बिहार में भी भू-जल संकट गहराता जा रहा है. पिछले साल गर्मियों में पहली बार दरभंगा, सारण, वैशाली आदि जिलों में टैंकर से पानी पहुंचना पड़ा था. भू-जल स्तर नीचे गिरने से बड़ी संख्या में चापाकल ठप पड़ गये थे. 38 में से 37 जिलों के पानी में आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन की समस्या है. 1.14 लाख वार्डों में से 31 हजार में गुणवत्तायुक्त पेयजल की आपूर्ति चुनौती बनी हुई है. पिछले एक दशक से ज्यादा से पानी को आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन मुक्त करने की तकनीक सफल साबित नहीं हुई है.

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