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मोतिहारी करेंसी चेस्ट से एक अरब रुपया आरबीआइ पहुंचा

सुबोध कुमार नंदन, पटना : मोतिहारी स्थित स्टेट बैंक के करेंसी चेस्ट से लगभग एक अरब रुपया स्टेट बैंक के अधिकारियों की मौजूदगी में शुक्रवार की देर रात रिजर्व बैंक, पटना पहुंचा. सूत्रों के अनुसार इनमें लगभग 50 करोड़ से अधिक नोट कटे-फटे और स्वायल्ड, जबकि 50 करोड़ पुराने नोट हैं. केवल नयी करेंसी को […]

सुबोध कुमार नंदन, पटना : मोतिहारी स्थित स्टेट बैंक के करेंसी चेस्ट से लगभग एक अरब रुपया स्टेट बैंक के अधिकारियों की मौजूदगी में शुक्रवार की देर रात रिजर्व बैंक, पटना पहुंचा. सूत्रों के अनुसार इनमें लगभग 50 करोड़ से अधिक नोट कटे-फटे और स्वायल्ड, जबकि 50 करोड़ पुराने नोट हैं. केवल नयी करेंसी को करेंसी चेस्ट में छोड़ा गया है. नोटों को गिनने के लिए साप्ताहिक अवकाश के बावजूद रिजर्व बैंक खुला. इसके लिए एक दर्जन से अधिक वरीय अधिकारी और लगभग 50 कर्मचारियों को विशेष रूप से बुलाया गया.

नोटों की गिनती कई पालियों में हो रही है, ताकि इन नोटों की गिनती जल्द-से-जल्द पूरी हो जाये. जानकारी के अनुसार इसके लिए तीन करेंसी वेरिफिकेशन एंड प्रोसेसिंग सिस्टम (सीवीपीएस) लगाये गये हैं. कटे-फटे नोट में अधिकतर ऐसे नोट मिल रहे हैं, जो कई टुकड़े में चिपकाये गये थे, लेकिन सालों से रखे होने के कारण स्टिकर हट गये हैं. इसके कारण नोटों की वैल्यू निकालने में अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं. इस घोटाले में कटे-फटे और सड़े-गले नोटों की वैल्यू सही नोट के हिसाब से लगायी गयी है, जो मुद्रा कानून के हिसाब से बड़े अपराध की श्रेणी में आता है.
अंतरराष्ट्रीय गिरोह का हो सकता है हाथ
इतनी बड़ी संख्या में कटे-फटे और स्वायल्ड नोट एक करेंसी चेस्ट में पाया जाना, किसी संगठित अंतरराष्ट्रीय गिरोह का हाथ होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है. अधिकारियों के अनुसार जिस तरह के कटे-फटे नोट निकल रहे हैं, उसे देखते हुए कम-से-कम 10 से 12 दिनों का समय लग सकता है. इस संबंध में रिजर्व बैंक के वरीय अधिकारी कुछ भी बताने से साफ इन्कार कर रहे हैं. इनका कहना है कि मामला काफी संगीन और बड़ा है.
गिनती को लेकर शनिवार को भी खुला रिजर्व बैंक
नोटों की गिनती में लगे दो दर्जन अधिकारी और 50 से अधिक कर्मचारी
बैंक के कई अफसरों पर भी गिर सकती है गाज
पटना. मोतिहारी स्थित स्टेट बैंक की करेंसी चेस्ट में घोटाले के मामले में बैंक के कई जांच अधिकारियों पर भी गाज गिरनी तय है. जानकारी के अनुसार साल में दो बार करेंसी चेस्ट की जांच बैंक स्तर पर करनी अनिवार्य है. साथ ही जांच रिपोर्ट रिजर्व बैंक को भेजने का प्रावधान है, लेकिन अभी तक जो तथ्य सामने आये हैं, उनसे यह स्पष्ट है कि बैंक के जांच अधिकारियों ने भी इसकी अनदेखी की है. बैंक के स्तर पर होने वाली जांच महज खानापूर्ति है.
अधिकारियों की मानें तो इस मामले में 2016 से लेकर 2019 के बीच करेंसी चेस्ट में नियुक्त हर कर्मचारी और अधिकारियों के कार्य की जांच शुरू हो गयी है. इनमें तो कई अधिकारी सेवानिवृत हो चुक हैं और कई अधिकारियों तबादला हो बिहार जोन से बाहर चले गये है. ऐसे में जांच प्रक्रिया लंबी खींच सकती है.

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