पटना : केंद्र सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल और किसान संगठनों के ग्रामीण भारत बंद का बिहार में मिला-जुला असर रहा. राज्य में बंद समर्थकों का मुख्य निशाना ट्रेनें रहीं. डाकबंगला चौराहे पर बंद समर्थकों ने जुलूस निकाल कर सरकार विरोधी नारे लगाये. हालांकि, पुलिस मुख्यालय के मुताबिक इस दौरान राज्य में कहीं से भी किसी तरह की हिंसा की कोई सूचना नहीं मिली.
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ट्रेड यूनियनों की हड़ताल का प्रदेश में मिला-जुला रहा असर
पटना : केंद्र सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल और किसान संगठनों के ग्रामीण भारत बंद का बिहार में मिला-जुला असर रहा. राज्य में बंद समर्थकों का मुख्य निशाना ट्रेनें रहीं. डाकबंगला चौराहे पर बंद समर्थकों ने जुलूस निकाल कर सरकार विरोधी नारे लगाये. हालांकि, पुलिस मुख्यालय के मुताबिक […]
एडीजी विधि-व्यवस्था अमित कुमार ने कहा कि बंद पूरे राज्य में शांतिपूर्ण रहा और इस दौरान कहीं से कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं है और किसी की गिरफ्तारी भी नहीं हुई है. हड़ताल और ग्रामीण इलाकों में बंद के चलते एसबीआइ छोड़ अधिकतर बैंकों में कामकाज नहीं हुए.
दूसरी ओर वाम दलों के नेताओं ने राज्य में हड़ताल और बंद को सफल बताया है. हड़ताल के कारण सड़क यातायात और ट्रेन सेवा काफी बाधित रही. सभी जिलों में श्रमिक संगठनों व वाम दलों के कार्यकर्ताओं ने जुलूस व रैलियां निकालीं़ सीटू के नेतृत्व में जमाल रोड से जुलूस निकाला गया जो गांधी मैदान होते हुए Â बाकी पेज 17 पर
संयुक्त बैनर के तले डाकबंगला चौराहा पहुंचकर सभा में तब्दील हो गया. सीटू महासचिव गणेश शंकर सिंह की अध्यक्षता में हुई सभा को सभी ट्रेड यूनियनों के नेताओं के अलावा माकपा के राज्य सचिव अवधेश कुमार ने संबोधित किया. नेताओं ने महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, कृषि संकट, आर्थिक संकट के विरुद्ध संघर्ष जारी रखने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बुनियादी समस्याओं से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए धर्म आधारित राजनीति को बढ़ावा दे रही है.
एनपीआर और एनआरसी के जरिये संविधान की मूल भावना, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र को खत्म करना चाहती है, लेकिन देश की जनता इसे बर्दाश्त नहीं करेगी. सभा को भाकपा के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह, भाकपा-माले के नेता धीरेंद्र झा ने भी संबोधित किया. बंद को सफल बनाने में सीटू, किसान सभा, खेत मजदूर यूनियन, महिला समिति, एसएफआइ एवं डीवाइएफआइ के कार्यकर्ता व नेता सड़कों पर उतरे.
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