आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस करेगी किसानों की मदद, खेती में होगी आसानी
एप में ट्रैक्टर, थ्रेसर से लेकर कुल 25 से अधिक मशीनों को जोड़ा गया है
पटना : आने वाले कुछ दिनों में तकनीक बिहार के किसानों की राह आसान कर देगी. तकनीक की नयी परिभाषा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से इस क्षेत्र में क्रांति आने वाली है. बिहार एग्रीकल्चर मैनेजमेंट एंड एक्सटेंशन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट(बामेती) के ओर से बागरी नामक प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है.
इस प्रोजेक्ट के तहत कृषि को तकनीक से जोड़ने का काम किया जा रहा है. इस क्रम में जे-फार्म सर्विसेज नामक एक एप तैयार किया गया है. इस एप के माध्यम से किसान टैक्स बुक करने वाले ओला, उबर की तर्ज तक कृषि मशीनों को बुक कर सकते हैं. एप में ट्रैक्टर, थ्रेसर से लेकर कुल 25 से अधिक मशीनों को जोड़ा गया है. किसान अपनी जरूरत के अनुसार मशीन की बुकिंग ऑनलाइन कर सकते हैं. मशीन उनके खेत तक आ जायेगी. अब तक लगभग 50 हजार किसान इससे जुड़ चुके हैं.
प्रचार के अभाव में डी-हाट की जानकारी नहीं : जे-फार्म सर्विसेज के अलावा तीन वर्ष पहले किसानों के लिए एक और एप बाजार में लाया गया था. डी-हाट नाम के इस एप से किसान अपने उपज को ऑनलाइन बेच सकते हैं. एप के माध्यम से एक मार्केट लिंक तैयार किया गया है, जिसमें मक्का से लेकर अन्य कई अनाजों के ग्राहक उपलब्ध रहते हैं. कई बार काउंटर खोल कर भी अनाजों को लेने की सुविधा दी जाती है, लेकिन प्रचार के अभाव में किसान उस एप का उपयोग नहीं कर रहे हैं.
तेजी से बढ़ रहा ड्रोन का उपयोग
बिहार में खेती के लिए ड्रोन का उपयोग एक नया स्टार्टअप तैयार हुआ है. बीते छह माह में राज्य में चार-पांच स्टार्टअप कंपनियां इस क्षेत्र में आ चुकी हैं. इसमें पहले फेज में ड्रोन से खाद की छिड़काव करने की सुविधा दी जा रही है. मोकामा टाल के अलावा पूसा और कई जगहों पर इसकी शुरुआत हो चुकी है. ड्रोन में कमांड देकर एक प्वाइंट से दूसरे प्वाइंट तक बगैर श्रमिक से खाद का छिड़काव किया जा रहा है.
डीएफआइडी की फंडिंग से चल रहा काम
दरअसल, बामेती के बागरी में डीएफआइडी की ओर से फंडिंग की जा रही है. डीएफआइडी अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग है. जिसका नेतृत्व यूनाइटेड किंगडम, लंदन से किया जाता है. इसके के तहत बागरी के सहयोग में बिहार कृषि को तकनीक से जोड़ने के लिए पैसा दिया जाता है. इसमें आर्टिसिशियल इंटेलिजेसी को बढ़ावा दिया जाता है.