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पटना : शून्यकाल में तात्कालिक विषयों को ही उठाना चाहिए
देहरादून में भारत में विधायी निकायों के पीठासीन पदाधिकारियों का 79 वां सम्मेलन में बिहार विधानसभा अध्यक्ष ने कहा पटना : विधायी कार्यों में शून्यकाल को महत्वपूर्ण बताते हुए बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने कहा कि शून्यकाल के दौरान वैसे विषय ही उठाये जाने चाहिए जो तात्कालिक हों. साथ ही इसके विषय […]
देहरादून में भारत में विधायी निकायों के पीठासीन पदाधिकारियों का 79 वां सम्मेलन में बिहार विधानसभा अध्यक्ष ने कहा
पटना : विधायी कार्यों में शून्यकाल को महत्वपूर्ण बताते हुए बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने कहा कि शून्यकाल के दौरान वैसे विषय ही उठाये जाने चाहिए जो तात्कालिक हों. साथ ही इसके विषय भी संक्षिप्त और निर्धारित होना चाहिए.
उन्होंने जोर दिया कि शून्यकाल की आवश्यकता, इसकी बाध्यता और गुणवत्ता बनी रहनी चाहिए. बुधवार को देहरादून में आयोजित भारत में विधायी निकायों के पीठासीन पदाधिकारियों के 79 वें सम्मेलन का उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने किया. इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के अलावा राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश के साथ कई राज्यों के विधानसभा अध्यक्ष, विधान परिषद के सभापति और लोकसभा व राज्यसभा के महासचिव तथा लोकसभा सचिवालय सहित कई राज्यों के विधानसभा सचिव व अन्य अधिकारी मौजूद थे. इस अवसर पर चौधरी ने कहा कि बिहार विधानसभा में शून्यकाल के दौरान जनहित के मुद्दे उठाये जाने की व्यवस्था है. सदस्यों द्वारा नियमित रूप से इस माध्यम का प्रयोग किया जाता है.
बिहार विधानसभा में मात्र 50 शब्दों में शून्यकाल की सूचना पढ़ने की इजाजत होती है. जो सूचना पढ़ी जाती है, उसकी समीक्षा शून्यकाल समिति द्वारा की जाती है. इस दौरान उन्होंने सुझाव दिया कि शून्यकाल के दौरान तात्कालिक विषय उठाये जाने चाहिए. विषय की गुणवत्ता के आधार पर ही शून्यकाल को स्वीकृति दी जानी चाहिए.
इससे संख्या में कमी आयेगी और इसके विषय की गंभीरता को देखते हुए सरकार भी इस पर ध्यान देगी. शून्यकाल के दौरान उठाये गये विषयों पर सरकार को संज्ञान लेना चाहिए.
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