शशिभूषण कुंवर
पटना : राज्य के ग्रामीण अस्पताल महिला रोग विशेषज्ञों से खाली पड़े हुए हैं. महिला रोग विशेषज्ञों की कमी का आलम यह है कि एक जिले में सिर्फ एक ही महिला रोग विशेषज्ञ उपलब्ध हैं. मसलन अररिया, बेगूसराय, बक्सर, जहानाबाद, किशनगंज, लखीसराय, मधेपुरा और सुपौल जिले में सिर्फ एक-एक महिला रोग विशेषज्ञों की तैनाती की गयी है.
राज्य में कुल 308 महिला रोग विशेषज्ञ पदस्थापित हैं. इनमें मेडिकल कॉलेजों में ही 159 को पदस्थापित किया गया है. शेष 149 महिला रोग विशेषज्ञों की तैनाती राज्य के 38 जिलों में की गयी है. ऐसी स्थिति में किसी जिले में एक-दो महिला रोग विशेषज्ञ, तो किसी में चार-छह महिला रोग विशेषज्ञों की तैनाती की गयी है. राज्य में हर साल करीब 26 लाख प्रसव होते हैं. इनमें 16 लाख से अधिक संस्थागत प्रसव 1091 सरकारी अस्पतालों में कराये जाते हैं. महिलाओं व किशोरियों के स्वास्थ्य की देखरेख के लिए अस्पताल महिला रोग विशेषज्ञ विहीन बने हुए हैं. प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत सभी सरकारी अस्पतालों में हर माह की नौ तारीख को गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच करायी जाती है.
किस जिले में कितने हैं महिला रोग विशेषज्ञ
सरकार को राज्य के मेडिकल कॉलेज चलाने के लिए 308 महिला रोग विशेषज्ञों में से 159 को आठ मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में पदस्थापित करना पड़ा है. इसी तरह से दरभंगा, पूर्वी चंपारण, कैमूर, खगड़िया, मुंगेर, नवादा, शिवहर, शेखपुरा और पश्चिम चंपारण जिले में सिर्फ दो-दो महिला रोग विशेषज्ञों को तैनात किया गया है.
इनके अलावा औरंगाबाद, भोजपुर, पूर्णिया, रोहतास और सीतामढ़ी में तीन-तीन महिला रोग विशेषज्ञों को लगाया गया है, तो बांका, कटिहार, मधुबनी, सहरसा व समस्तीपुर चार-चार पदस्थापित हैं. जमुई व वैशाली जिले में पांच-पांच, तो नालंदा में छह महिला रोग विशेषज्ञ तैनात हैं. सर्वाधिक 28 महिला रोग विशेषज्ञों का पदस्थापन पटना में किया गया है. मुजफ्फरपुर जिले में 11, तो सारण में 10 महिला रोग विशेषज्ञ पदस्थापित किये गये हैं.
राज्य में अस्पतालों की संख्या
नयी नियुक्ति से कमी हो सकती है पूरी
राज्य सरकार द्वारा महिलाओं को सभी प्रकार की नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण के प्रस्ताव का लाभ स्वास्थ्य सेवाओं को भी मिल सकता है. अस्पतालों में होनेवाली नयी नियुक्तियों में 35 प्रतिशत महिला रोग विशेषज्ञों के नियुक्त होने से इस कमी को दूर की जा सकती है.