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अभियान के बाद भी नहीं घट रहा एनिमिया का कहर, बिहार भर की 50% महिलाओं में खून की कमी
पटना : राज्य की आधी महिलाएं एनिमिया से ग्रसित हैं. इस मामले में 13 जिले डेंजर जोन में हैं. सुपौल अव्वल है, जहां का आंकड़ा 72 प्रतिशत तक है. इस बीमारी को खत्म करने के लिए राज्य व केंद्र सरकार के माध्यम से स्कूल, कॉलेज और आंगनबाड़ी केंद्रों में दवा पिलाने व खिलाने का अभियान […]
पटना : राज्य की आधी महिलाएं एनिमिया से ग्रसित हैं. इस मामले में 13 जिले डेंजर जोन में हैं. सुपौल अव्वल है, जहां का आंकड़ा 72 प्रतिशत तक है.
इस बीमारी को खत्म करने के लिए राज्य व केंद्र सरकार के माध्यम से स्कूल, कॉलेज और आंगनबाड़ी केंद्रों में दवा पिलाने व खिलाने का अभियान चलाया जा रहा है. इसके बावजूद एनिमिया से ग्रसित महिलाओं की संख्या कम नहीं हो पा रही. ऐसी महिलाओं की संख्या सबसे कम पटना में 52 प्रतिशत है.
बिहार में एनिमिया का आंकड़ा
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण – 4 (2015-16) के अनुसार देश भर में 6-59 माह के बच्चों में एनीमिया का प्रतिशत 58 फीसदी है, तो बिहार में यह 63.5 प्रतिशत है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-3 (2005-06) से इसकी तुलना करें, तो इसमें 14.5 प्रतिशत की कमी आयी है. वहीं, बिहार में 15-49 वर्ष की महिलाओं में एनिमिया का प्रतिशत 60.3 है, जो राष्ट्रीय औसत (53 प्रतिशत) से लगभग सात फीसदी ज्यादा है.
इन जिलों में सबसे अधिक
– सुपौल 72
– भोजपुर70.6
– भागलपुर70
– दरभंगा69.9
– सीतामढ़ी69
– शेखपुरा66
– किशनगंज65.2
– लखीसराय 66.3
– सहरसा68.4
– अरवल66.8
– समस्तीपुर65.4
– वैशाली 67.4
– इस्ट चंपारण 65.7
– बांका70.4
(आंकड़ा प्रतिशत में) है.
क्या है एनिमिया : एनिमिया की
वजह से कमजोरी और थकान महसूस होता है. इस बीमारी से बच्चों एवं महिलाओं में ग्रोथ कम होता है. चिकित्सकों ने कहा बच्चों में रक्त में प्रति डेसीलीटर 11 ग्राम से कम हीमोग्लोबिन व महिलाओं के रक्त में प्रति डेसीलीटर 12 ग्राम से कम हीमोग्लोबिन होने को एनीमिया कहते हैं.
70% गर्भवती महिलाओं में खून की कमी
राज्य भर में बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए राज्य व केंद्र सरकार की ओर से कई योजनाएं चल रही हैं. कुर्जी हॉस्पिटल की डॉ मीना सामंत ने कहा कि अस्पताल में गर्भवती महिलाएं जब तीन माह से इलाज के लिए अस्पताल में पहुंचती हैं, तो उस वक्त यह देखने को मिलता है कि सौ महिलाओं में 70 खून की कमी से ग्रसित हैं. इस कारण से उनको शुरू से आयरन और फोलिक एसिड की गोलियों के साथ कई ताकत की दवाएं दी जाती हैं.
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