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450 बेडों का होगा आइजीआइसी

पटना: इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान में हृदयरोगियों के लिए नौ फ्लोर का एक भवन तैयार हो रहा है. जानकारी के मुताबिक साल के अंत तक नया भवन बन कर तैयार हो जायेगा, जिसके बाद संस्थान में गंभीर-से- गंभीर सजर्री आराम से हो पायेगी. परिसर में बच्चों की ओपेन हार्ट सजर्री हो सके, इसके लिए […]

पटना: इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान में हृदयरोगियों के लिए नौ फ्लोर का एक भवन तैयार हो रहा है. जानकारी के मुताबिक साल के अंत तक नया भवन बन कर तैयार हो जायेगा, जिसके बाद संस्थान में गंभीर-से- गंभीर सजर्री आराम से हो पायेगी. परिसर में बच्चों की ओपेन हार्ट सजर्री हो सके, इसके लिए अलग से एक पूरा फ्लोर रखा जायेगा. इसके बाद हृदय रोगियों को इलाज के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा.

मरीजों को एक ही छत के नीचे मिलेगी संपूर्ण सुविधा : मरीजों को एक ही छत के नीचे संपूर्ण सुविधा देने के लिए परिसर में अत्याधुनिक कैथ लैब लगाया है. मरीजों के लिए सभी तरह की जांच की मुफ्त व्यवस्था की गयी है. साथ ही पेसमेकर, एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी करानेवाले मरीजों का इलाज भी कम कीमत में किया जायेगा. सभी फ्लोर पर इको, इसीजी की व्यवस्था की जायेगी. वहीं जांच लैब को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया जायेगा.

ओटी को अत्याधुनिक मशीनों से लैस किया जायेगा, ताकि ऑपरेशन के बाद मरीजों में जीरो प्रतिशत इंफेक्शन का खतरा रहेगा. ओटी को तैयार करने के लिए देश व विदेश के प्रसिद्ध हृदय रोग संस्थानों से राय भी ली जा रही है.

इमरजेंसी में एक सौ बेड : आइजीआइसी में अभी 160 बेड हैं. संपूर्ण अस्पताल तैयार होने के बाद 450 बेड होगा और इमरजेंसी में 100 बेड. इसके बाद मरीजों को भरती करने में परेशानी नहीं होगी.

संस्थान में बना मॉनीटरिंग सेल

मॉनीटरिंग सेल बनाया गया है. सेल अस्पताल की हर दिन मॉनीटरिंग करता है, ताकि मरीजों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो. सेल का गठन ओपीडी में इलाज कराने आये मरीज के परिजनों की शिकायत पर किया गया है.

परिसर में सभी जांच मुफ्त

परिसर में लगभग सभी तरह की जांच की मुफ्त सुविधा है. इलाज के दौरान अगर किसी मरीज का ऑपरेशन या पेसमेकर लगाने की बात होती है , तो उसकी कीमत भी बहुत कम है, जिसका वहन करने में मरीजों को परेशानी नहीं होती है. जिस ऑपरेशन की कीमत निजी अस्पताल में लाखों में है, उसकी कीमत संस्थान में महज 30 से 35 हजार हैं.

बच्चों की ओपेन हार्ट सर्जरी हो सके, इसके लिए एक फ्लोर को रखा गया है, जहां बच्चों का ऑपरेशन होगा. यह सुविधा सबसे पहले शुरू की जायेगी. इस साल के अंत में भवन का काम पूरा हो जायेगा.

डॉ हरेंद्र कुमार, कार्यकारी निदेशक

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