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दहेज की बलि चढ़ी महिला की आंखों से दो को मिलेगी रोशनी

रविशंकर उपाध्याय, पटना : पटना सिटी की एक नवविवाहिता को दहेज नहीं लाने के कारण मार डाला गया. लेकिन, मरते-मरते उसने अपनी आंखें दान कर दी. अब उसकी आंखों से दो नेत्रहीन व्यक्ति की दुनिया रोशन होगी. पीएमसीएच के आइबैंक में युवती की आंखें लेकर प्रिजर्व कर ली गयी है, चंद औपचारिक प्रक्रियाओं के बाद […]

रविशंकर उपाध्याय, पटना : पटना सिटी की एक नवविवाहिता को दहेज नहीं लाने के कारण मार डाला गया. लेकिन, मरते-मरते उसने अपनी आंखें दान कर दी. अब उसकी आंखों से दो नेत्रहीन व्यक्ति की दुनिया रोशन होगी. पीएमसीएच के आइबैंक में युवती की आंखें लेकर प्रिजर्व कर ली गयी है, चंद औपचारिक प्रक्रियाओं के बाद जल्द ही दो व्यक्ति की जिंदगी में उजाला आ जायेगा.

लड़की के पिता मनोज कुमार ने प्रभात खबर को बताया कि उनकी बेटी की शादी महज छह माह पहले ही हुई थी. उसे लगातार दहेज के
लिए परेशान किया जा रहा था, 15 अक्तूबर को उसके साथ बहुत मारपीट की गयी थी, इसके कारण उसे पीएमसीएच में भर्ती कराना पड़ा. लेकिन ज्यादा चोट लगने के कारण अंतत: 17 अक्तूबर को उसकी मौत हो गयी. मरने के पहले उनकी बेटी ने कहा था
कि, पापा यदि मैं बच गयी तो ठीक है नहीं तो मरने पर आंखें दान कर दीजियेगा. उसी दौरान आइबैंक के कर्मियों ने उससे संपर्क किया, तो वे तैयार हो गये.
गला दबाने के कारण कॉर्निया के क्षतिग्रस्त होने का था खतरा : आइबैंक के विशेषज्ञों ने बताया कि युवती की एक कॉर्निया बिल्कुल ठीक है. लेकिन, दूसरे कॉर्निया के पूरी तरह स्वस्थ होने पर सस्पेंस कायम है. दरअसल युवती की गला दबने के कारण आंखों को नुकसान पहुंचा था. दोनों कॉर्निया को अभी प्रिजर्व कर लिया गया है.
इसमें से एक कॉर्निया को तुरंत किसी को लगाया जा सकता है जबकि दूसरे कॉर्निया के लगाये जाने पर विभाग के डॉक्टर निर्णय लेंगे. इसकी जांच के बाद किसी को कॉर्निया लगायी जायेगी. इधर युवती के पिता मनोज कुमार ने कहा कि केस करने के बाद भी पुलिस ने दोषियों को नहीं गिरफ्तार किया है, इससे हमें बहुत दुख पहुंचा है. हम चाहेंगे कि दोषी जल्द ही गिरफ्तार हो ताकि कोई और दहेज के लिए किसी मासूम की जान नहीं ले.
युवती ने बहुत कष्ट में होने के बावजूद मानवता को ध्यान में रखते हुए अपनी आंखों को दान किया है, यह ऐसा फैसला है जिसकी जितनी प्रशंसा की जाये वह कम होगी. हम कह सकते हैं कि दहेज ने युवती की जिंदगी में अंधेरा ला दिया लेकिन वह अपनी उन्हीं आंखों से अब भी दुनिया देखती रहेंगी.
-हृषिकेश माली, काउंसेलर, आइबैंक, पीएमसीएच

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