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बिहार उपचुनाव परिणाम पर आत्म-विवेचना की जरूरत : जायसवाल

पटना : बिहार भाजपा अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य संजय जायसवाल ने प्रदेश में गत 21 अक्टूबर को संपन्न पांच विधानसभा सीट के उपचुनाव में अपनी पार्टी और सहयोगी जदयू की हार के बारे में शनिवार को कहा कि ‘यह उपचुनाव हमें अपनी कार्यशैली के बारे में पुनः आकलन करने की जरूरत को बताता है.’ पटना […]

पटना : बिहार भाजपा अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य संजय जायसवाल ने प्रदेश में गत 21 अक्टूबर को संपन्न पांच विधानसभा सीट के उपचुनाव में अपनी पार्टी और सहयोगी जदयू की हार के बारे में शनिवार को कहा कि ‘यह उपचुनाव हमें अपनी कार्यशैली के बारे में पुनः आकलन करने की जरूरत को बताता है.’ पटना स्थित भाजपा मुख्यालय में शनिवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए जायसवाल ने कहा, ‘‘यह उपचुनाव हमें अपनी कार्यशैली के बारे में पुनः आकलन करने की जरूरत को बताता है.”

उन्होंने बिहार विधानसभा की पांच सीटों तथा समस्तीपुर लोकसभा सीट पर हुए उप चुनाव के बारे में भाजपा नेता ने कहा कि गौर करें तो आज भी लोकसभा के परिणाम उसी तरह हुए जैसे 4 महीना पहले थे, लेकिन विधानसभा के चुनाव के नतीजे बिल्कुल अलग है. उल्लेखनीय है कि समस्तीपुर लोकसभा सीट से भाजपा की सहयोगी लोजपा ने जीत दर्ज की है.

जायसवाल ने कहा कि भाजपा की यह खासियत है, ‘‘हम अपनी हार से भी सीखते हैं और हमारा इतिहास गवाह है कि हर हार के बाद हम और मजबूत हो कर उभरे हैं. भले ही यह मुख्य चुनाव नहीं थे और इन परिणामों का सरकार पर कोई फर्क भी नहीं पड़ने वाला, लेकिन फिर भी इस परिणाम को ठंडे बस्ते में डालने की नहीं बल्कि क्या कमी रह गयी उसकी समग्र समीक्षा कर, कारणों पर ध्यान देने की जरूरत है.”

उन्होंने कहा, ‘‘बिहार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी उपचुनाव हुए थे, लेकिन वहां राजग 80 प्रतिशत सीटें जीतने में सफल हुई. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार में ऐसा क्या हुआ कि जिनके समय में शाम ढलते ही किसी की घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं होती थी, जिनके शासन की भयावह यादें आज भी लोगों के रोम-रोम में सिहरन पैदा कर देती हैं, वह भी दो स्थानों पर जीत गये.”

जायसवाल ने कहा कि हालांकि पिछले कुछ वर्षों का इतिहास देखें तो उपचुनावों में विपक्षी दलों को कुछ सीटें हर बार मिल जाया करती हैं, लेकिन मुख्य चुनावों में हर बार इन्हें करारी शिकस्त झेलनी पड़ी है. उन्होंने कहा कि बिहार में हालिया हुए उपचुनाव में पार्टी के लिए रात-दिन एक करने वाले किशनगंज विधानसभा के हमारे सभी बूथ कार्यकर्ताओं ने काफी मेहनत की है. जायसवाल ने कहा, ‘‘किशनगंज का सामाजिक समीकरण ही कुछ ऐसा है कि परिणाम हमारे पक्ष में नहीं आ सका, लेकिन इस तथ्य को भली-भांति जानते हुए भी हमारे कार्यकर्ताओं ने इस चुनाव में जो लगन और कर्मठता दिखाई है, उसकी जितनी तारीफ की जाए कम होगी.”

उन्होंने दरौंदा उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी कर्णजीत सिंह उर्फ व्यास सिंह की जीत और अपनी अपनी सहयोगी पार्टी जदयू के उम्मीदवार की हार की चर्चा करते हुए कहा कि दरौंदा में हुआ विद्रोह महज भाजपा कार्यकर्ताओं का विद्रोह नहीं था, बल्कि भाजपा और जदयू कार्यकर्ताओं का सम्मिलित विद्रोह था. जायसवाल ने कहा कि अगर हम बेलहर में समझाने में सफल नहीं होते तो वहां भी कुछ ऐसे ही परिणाम देखने को मिल सकते थे. आज भी गोपालगंज में जदयू के पूर्व विधायक सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ धरने पर बैठते हैं. लेकिन, अगर यही कार्य भाजपा के किसी पूर्व विधायक ने किया होता तो मुझ पर उसके निष्कासन का दबाव होता.

उन्होंने बताया कि आगामी पांच नवंबर को पटना स्थित बापू सभागार में बिहार भाजपा के अभिभावक एवं गुजरात के पूर्व राज्यपाल दिवंगत कैलाशपति मिश्र जी की पुण्यतिथि मनाई जायेगी. उन्होंने कहा कि इसमें भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा जी मुख्य अतिथि हैं. इस उपचुनाव में लोजपा उम्मीदवार प्रिंस राज समस्तीपुर लोकसभा सीट से, ओबैसी की पार्टी एआईएमआईएम के प्रत्याशी कमरुल होदा किशनगंज से, सिमरी बख्तियारपुर से राजद के जफर आलम, नाथनगर से जदयू के लक्ष्मीकांत मंडल, दरौंदा से निर्दलीय प्रत्याशी कर्णजीत सिंह उर्फ व्यास सिंह और बेलहर से राजद उम्मीदवार रामदेव यादव विजयी रहे.

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