अनुज शर्मा, पटना : राजधानी के पुलिस लाइन का महिला बैरक. कमरे में तीन बाई छह के दो पंलग और एक अलमारी रखने लायक जगह है. इसके बाद भी तीन पंलग सटा कर ऐसे बिछाए गये हैं कि पैर सिकोड़कर ही सही पांच- छह लोग सो जायें. पलंग के नीचे ही छोटा गैस सिलेंडर भी रखा है. खाना बनाने के वक्त यह पलंग पर आ जाता है.
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महिला बैरक पर पुरुषों का कब्जा
अनुज शर्मा, पटना : राजधानी के पुलिस लाइन का महिला बैरक. कमरे में तीन बाई छह के दो पंलग और एक अलमारी रखने लायक जगह है. इसके बाद भी तीन पंलग सटा कर ऐसे बिछाए गये हैं कि पैर सिकोड़कर ही सही पांच- छह लोग सो जायें. पलंग के नीचे ही छोटा गैस सिलेंडर भी […]
ऐसे में आप रह कैसे लेती हैं, इस सवाल पर युवा सिपाही पलंग के दो फुट ऊपर डोरी पर टंगे अधगीले कपड़े हटाते हुए कहती हैं, रह कहां रहे हैं ? घर चलाने को बस सांस ले रहे हैं. नवीन पुलिस केंद्र पटना स्थित 230 महिला सिपाही आवासीय बैरक के एक कमरा का यह दृश्य बता रहा है कि जिस विभाग में सबसे अधिक महिला नियुक्त हैं, वहां उनको क्या सुविधा मिल रही हैं.
बहुमंजिला 230 महिला सिपाही आवासीय बैरक में करीब 24 कमरे हैं. इसमें छह कमरे ही महिलाओं के पास हैं. ग्राउंड फ्लोर, पहली और दूसरी मंजिल के सभी कमरों में पुरुष हैं. पुरुष कमरों तक ही सीमित नहीं हैं. बरामदा, गैलरी और सीढ़यों के पास जहां भी पलंग बिछाने भर की जगह है, वहां उनका कब्जा है. महिलाओं की बैरक में महिला पुलिस ही कैद हैं. कोई पुरुष यह नहीं बता सका कि वह किसके आदेश से यहां रह रहा है.
महिलाओं की निजता पर भी नजर
पूरी इमारत में महिला सिपाहियों के लिए निजिता नाम की कोई चीज नहीं है. महिलाओं के लिए बने बाथरूम को पुरुष जवान भी उपयोग कर रहे हैं. एक महिला सिपाही ने बताया कि सफाई के लिये 10-10 रुपये चंदा करना पड़ता है. कुछ बता दिया तो अनुशासनहीनता की कार्रवाई हो जायेगी. वैसे ही हम बदनाम हैं.
बड़े कमरे में 25 से 30 महिला सिपाही रह रही हैं. इसी कमरे में वह खाना बनाती हैं. कपड़े सुखाने के लिए भी यही कमरा है. परिवार का कोई सदस्य मिलने आता है, महिला पुलिस कर्मी लाइन के बाहर ही मिलती हैं ताकि यहां का हाल देखकर घर में विवाद न हो. दूसरी महिला सिपाही ने कहा, घर का कौन व्यक्ति यह पसंद करेगा कि परिवार की महिला और पराये मर्दों के बिस्तर में केवल दरवाजा व एक फुट की दूरी हो.
छोटे जिलों में बेहतर स्थिति
महिला पुलिस कर्मियों के लिये छोटे जिले अधिक सुविधा जनक हैं. गया, नवादा, वैशाली, भागलपुर, बेतिया आदि जिलों की पुलिस लाइन में पटना से अधिक सुकून में थीं. गया जैसे बड़े जिला की पुलिस लाइन की महिला बैरक में केवल महिलाएं रह रहीं थीं.
थानों में महिला कर्मियों के लिए सुविधा नहीं
पुलिस लाइन ही नहीं थानों में भी महिला पुलिस कर्मियों के लिये मानक के अनुसार सुविधाएं नहीं हैं. करीब एक लाख पुलिस बल में 15 फीसदी से अधिक महिला बल है. संसाधन की बात करें तो अभी तक 1117 पुलिस बैरक निर्माण पूर्ण किया गया. 3810 यूनिट बैरक का निर्माण किया जा रहा है. 103 थानों में महिला सिपाहियों के लिये पांच सीटेड शौचालय और स्नानागार का निर्माण किया गया है. पुलिस लाइन एवं बीएमपी में 49 जगह बीस सीटेड शौचालय सह स्नानागार का निर्माण हुआ है. दो जगहों पर काम जारी है. वहीं 561 थानों में दो सीटेड शौचालय एवं दौ सीटेड स्नानागार बनवाये गये हैं.
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