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बिहार में अभी और रूलायेगा प्याज, दशहरा बाद खत्म होगा संकट

पटना : राज्य में प्याज के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं. पटना में यह अभी 70 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. इसके दाम में और बढ़ोतरी होने की संभावना है. इसका बड़ा कारण नासिक और राजस्थान में आयी बाढ़ से आवक का कम होना है. अकेले पटना में प्याज की प्रतिदिन खपत 20 […]

पटना : राज्य में प्याज के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं. पटना में यह अभी 70 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. इसके दाम में और बढ़ोतरी होने की संभावना है. इसका बड़ा कारण नासिक और राजस्थान में आयी बाढ़ से आवक का कम होना है.
अकेले पटना में प्याज की प्रतिदिन खपत 20 हजार किलो है, जबकि आठ से 10 हजार किलो प्याज ही पहुंच पा रहा है. फिलहाल इंदौर से थोड़ा-बहुत प्याज यहां पहुंच रहा है. बाकी घरेलू उत्पादन से काम चल रहा. भाव चढ़ने से स्टॉक माल को हाथ बंद कर निकाला जा रहा है. हालांकि, दशहरा बाद प्याज की नयी फसल पर उसके भाव नीचे आने का अनुमान किया जा रहा है.
नेफेड ने साधी चुप्पी : प्याज का सरकारी कारोबार करने वाली एजेंसी नेफेड के वाइस प्रेसिडेंट सुनील कुमार सिंह कहते हैं, जब तक उन्हें केंद्र सरकार का अनुरोध नहीं आयेगा, वह कुछ भी नहीं कर सकते हैं. इससे पहले केंद्र को राज्य सरकार का अनुरोध जायेगा. उनके अनुसार नासिक के लहसनगांव स्थित नेफेड के स्टाॅक में भारी मात्रा में प्याज उपलब्ध है.
असम और बांग्लादेश को प्याज खिलाता था बिहार : भले ही बिहार के घरेलू बाजार में बाहरी प्याज का इंतजार हो रहा है, लेकिन यहां के प्याज का निर्यात असम और बांग्लादेश तक होता रहा है.
लेकिन, इस बार पैदावार की कमी से निर्यात भी ठहर-सा गया है. प्याज के बड़े कारोबारी और पूर्व विधान पार्षद वाल्मीकि सिंह बताते हैं, आवक कम होने से असम और बंगाल प्याज नहीं के बराबर भेजा जा रहा है.
उनके मुताबिक बड़े आकार के प्याज की बंगाल, बांग्लादेश में भारी मांग रही है. लेकिन, पैदावार कम होने से उसे हम नहीं भेज पा रहे हैं. नासिक, राजस्थान से प्याज नहीं आने के कारण घरेलू खपत भी पूरी नहीं हो पा रही. राज्य में थोक प्याज नासिक से ही आता रहा है. लेकिन, हाल के दिनों में कर्नाटक के चुड्डुम, वेल्लारी, चिल्लाकेरी, आंध्र प्रदेश के कुछ इलाके और इंदौर से भी प्याज बिहार पहुंच रहा था.
लेकिन, केंद्र सरकार के यातायात और ओवरलोड नियम के कारण भी इसकी आवक में कमी हुई है. पहले एक ट्रक में 600 बैग प्याज लाद दिया जाता था. अब इसकी संख्या 400 से अधिक नहीं है. इस कारण भी ट्रक अधिक नहीं पहुंच पा रहे हैं.
उधार का कारोबार है, इसलिए छोटे व्यापारी नहीं डाल रहे हाथ
प्याज कारोबारी संतोष कुमार के मुताबिक राजस्थान से लाल प्याज का आवक नहीं के बराबर है. छोटे व्यापारियों से थोक व्यापारी पहले ही पैसा जमा करवा ले रहे हैं और यह कारोबार उधार का है. इसलिए पैसा फंसने के डर से भी व्यापारी प्याज के धंधे में हाथ नहीं डाल रहे हैं. किसान और बिचौलियों ने मार्च-अप्रैल में ही इसका स्टॉक कर लिया. अब किल्लत हो रही है तो धीरे-धीरे बाजार में इसे निकाला जा रहा है.
घरेलू उत्पादन से कहीं अधिक है खपत : राज्य में प्याज का उत्पादन औसतन सालाना 12.5 लाख टन है. बीते तीन वित्तीय वर्षों में प्याज का उत्पादन 12,67,182.46 से लेकर 12,45,000 टन के बीच रहा है.
नालंदा है सबसे बड़ा उत्पादक जिला : राज्य में अकेले नालंदा जिला हर साल औसतन डेढ़ लाख टन का उत्पादन करता है. इसके अलावा अररिया, भागलपुर, बक्सर, भोजपुर, किशनगंज और वैशाली में हर साल औसतन 20 हजार से 50 हजार टन प्याज का उत्पादन होता है.

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