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पटना : 3.12 लाख सर्टिफिकेट के बारे में जानकारी नहीं दे रहे विवि व बोर्ड

पटना : राज्य में नियोजित शिक्षकों की बहाली के मामले की जांच निगरानी ब्यूरो को सौंपने के बाद मई 2015 से इसकी पड़ताल चल रही है. परंतु चार साल बाद भी निगरानी ब्यूरो को शिक्षा विभाग की तरफ से अब तक न ही सभी शिक्षकों का फोल्डर मुहैया कराया गया है और न ही शिक्षकों […]

पटना : राज्य में नियोजित शिक्षकों की बहाली के मामले की जांच निगरानी ब्यूरो को सौंपने के बाद मई 2015 से इसकी पड़ताल चल रही है.
परंतु चार साल बाद भी निगरानी ब्यूरो को शिक्षा विभाग की तरफ से अब तक न ही सभी शिक्षकों का फोल्डर मुहैया कराया गया है और न ही शिक्षकों के सभी सर्टिफिकेटों की जांच में विश्वविद्यालय और बोर्ड की तरफ से मदद मिल रही है. सभी विश्वविद्यालय और बोर्ड में विभिन्न डिग्रियों के तीन लाख 12 हजार सर्टिफिकेट जांच के लिए लंबित पड़े हैं. कुछ संस्थानों में तो कुछ सर्टिफिकेट पिछले दो साल से जांच के लिए लंबित पड़े हैं.
निगरानी के कई बार कहने के बाद भी इन सर्टिफिकेट के बारे में संबंधित विश्वविद्यालय या बोर्ड कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं. यह नहीं बता पा रहे हैं कि ये सर्टिफिकेट सही या फर्जी हैं. इस वजह से जांच की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है. इसके अलावा शिक्षा विभाग ने अभी तक दो लाख 41 हजार 571 शिक्षकों का ही फोल्डर या तमाम संबंधित सर्टिफिकेट ही निगरानी ब्यूरो को मुहैया कराया है.
दर्जनों बार कहने के बाद भी शिक्षा विभाग के कर्मी बचे हुए करीब एक लाख 30 हजार शिक्षकों का फोल्डर मुहैया नहीं करा रहे हैं. इस वजह से नियोजन के जरिये बहाल हुए सभी शिक्षकों की जांच नहीं हो पा रही है. राज्य में सभी स्तर के नियोजित शिक्षकों की संख्या तीन लाख 70 हजार के आसपास है.
एक शिक्षक के फोल्डर में तीन से पांच सर्टिफिकेट होते हैं और प्रत्येक सर्टिफिकेट की जांच निगरानी को करनी है. इसमें मैट्रिक, इंटर, स्नातक, बीएड समेत अन्य सर्टिफिकेट शामिल होते हैं. इसतरह निगरानी को प्राप्त दो लाख 41 हजार 571 शिक्षकों के फोल्डर में करीब सात से साढ़े लाख सर्टिफिकेट की जांच करनी है.
अब तक 14 हजार फर्जी पाये गये सर्टिफिकेट : जांच की इन तमाम पेंचिदगियों के बीच अब तक तीन लाख 86 हजार 416 सर्टिफिकेट की जांच हो चुकी है. इसमें एक हजार 14 सर्टिफिकेट फर्जी पाये गये हैं. इसे लेकर निगरानी ने विभिन्न जिलों में 356 एफआइआर दर्ज करायी है, जिसमें एक हजार 309 शिक्षक से लेकर अलग-अलग स्तर के जन प्रतिनिधि अभियुक्त बनाये जा चुके हैं. सबसे ज्यादा संख्या में एफआइआर अरवल, भागलपुर, जमुई, मुंगेर, जहानाबाद और गया में दर्ज करायी गयी है.

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