पटना : सरकार जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ बिना किसी बिचौलियों के सीधे लोगों तक पहुंचाने के लिए डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) की मदद ले रही है. इसके तहत योजनाओं या अनुदान की राशि सीधे लोगों के बैंक खातों में ट्रांसफर करने की व्यवस्था है.
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आधार से बैंक खाते नहीं जुड़ने से लौट रही राशि
पटना : सरकार जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ बिना किसी बिचौलियों के सीधे लोगों तक पहुंचाने के लिए डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) की मदद ले रही है. इसके तहत योजनाओं या अनुदान की राशि सीधे लोगों के बैंक खातों में ट्रांसफर करने की व्यवस्था है. लेकिन लोगों के बैंक खाते आधार के साथ-साथ एनपीसीआइ (नेशनल पेमेंट […]
लेकिन लोगों के बैंक खाते आधार के साथ-साथ एनपीसीआइ (नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) से नहीं जुड़ने की वजह से खातों में राशि पहुंच ही नहीं पा रही है. सरकार के लिए योजनाओं को सफल तरीके से क्रियान्वित कराने में यह सबसे बड़ी बाधा बनकर सामने आ रही है. सरकारी की तरफ से पैसे ट्रांसफर करने के बाद भी इनके खातों से लौट जाते हैं.
हाल में कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं की राशि 1.70 लाख किसानों के खातों में या तो पहुंच नहीं पायी या लौट गयी. इसी तरह मनरेगा में सक्रिय जॉब कार्डधारक मजदूरों की संख्या करीब 48 लाख है, लेकिन 23% ही आधार नंबर से लिंक बैंक खातों में पैसे मिलते हैं. शेष मजदूरों को आज भी नकद भुगतान ही किया जाता है.
हालांकि, यह दावा किया जाता है कि मजदूरों के 83% खातों को आधार से जोड़ दिया गया है. फिर भी समस्या यह बतायी जा रही है कि आधार के साथ-साथ इन खातों को एनपीसीआइ से नहीं जोड़ने के कारण खाते तक पैसे नहीं पहुंच रहे हैं. इस कारण से मनरेगा में बिचौलिया और घपलेबाजी पर पूरी तरह नियंत्रण नहीं हो पा रहा है. एनपीसीआइ एक तरह का पेमेंट गेट-वे सिस्टम है, जिसके जरिये होकर सारी सरकारी योजनाओं के पैसे ट्रांसफर होते हैं.
समाज कल्याण विभाग की पेंशन योजनाओं की स्थिति
हालांकि, समाज कल्याण के तहत चलनी वाली सभी तरह की पेंशन योजनाओं की स्थिति अन्य की तुलना में बेहतर है. यहां प्रत्येक महीने विभिन्न पेंशन योजनाओं में करीब करीब एक करोड़ लोगों के खातों में पैसे ट्रांसफर किये जाते हैं. इनमें सिर्फ पांच से सात प्रतिशत लोगों के खातों में पैसे नहीं पहुंच पाते हैं.
राज्य में मौजूद 50% खाते ही आधार से जुड़े
राज्य में 9.48 करोड़ बैंक खाते हैं. इनमें 6.27 करोड़ (66.13%) खाते सक्रिय हैं. मोबाइल से जुड़े या सीडिंग खातों की संख्या 7.11 करोड़ (75%) है. लेकिन, आधार से जुड़े खातों की संख्या महज 4.81 लाख (50.73%) है, जिनका सत्यापन भी हो चुका है. वैसे यह दावा किया जाता है कि सात से सवा सात करोड़ (करीब 75%) बैंक खातों को आधार से जोड़ दिया गया है, लेकिन इनका सत्यापन नहीं हुआ है. इस वजह से आधार से जुड़ने के बाद भी इसका कोई फायदा नहीं है.
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