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बिहार में बैंकों का एनपीए 11.62%, मुद्रा लोन बनता जा रहा इसका बड़ा कारण

32 लाख 80 हजार 503 लोगों को 28 हजार 552 करोड़ का लोन बांटा गया पटना : राज्य में बैंकों का एनपीए (नन-परफॉर्मिंग एसेट) 11.62 प्रतिशत है. जबकि, वर्तमान में देश का एनपीए मार्च 2019 तक 9.3 प्रतिशत है. इसकी तुलना में बिहार का एनपीए ज्यादा है. जबकि राज्य के बैंक आम लोगों को लोन […]

32 लाख 80 हजार 503 लोगों को 28 हजार 552 करोड़ का लोन बांटा गया
पटना : राज्य में बैंकों का एनपीए (नन-परफॉर्मिंग एसेट) 11.62 प्रतिशत है. जबकि, वर्तमान में देश का एनपीए मार्च 2019 तक 9.3 प्रतिशत है. इसकी तुलना में बिहार का एनपीए ज्यादा है. जबकि राज्य के बैंक आम लोगों को लोन देने में बहुत उत्साह नहीं दिखाते हैं. इसी वजह से राज्य का सीडी रेशियो पिछले 10 साल से 45.50 प्रतिशत से ज्यादा कभी नहीं बढ़ा. फिर भी बैंकों का एनपीए ज्यादा है. इसका मुख्य कारण कृषि लोन तो है ही, अब मुद्रा लोन भी बनता जा रहा है. राज्य में वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान सभी बैंकों ने दो लाख तीन हजार लोगों को एक हजार 528 करोड़ के लोन दिये हैं.
मुद्रा लोन के तहत अब तक 32 लाख 80 हजार 503 लोगों को 28 हजार 552 करोड़ के लोन बांटे जा चुके हैं. प्राप्त सूचना के अनुसार इसमें आधे से ज्यादा लोन खाते ऐसे हैं, जिनमें लोग किस्त जमा नहीं कर रहे हैं. ये लोन एनपीए ही होते जा रहे हैं. बैंकों पर मुद्रा लोन के कारण बोझ बढ़ता जा रहा है. जानकार बताते हैं कि आने वाले समय में बैंकों के लिए कृषि लोन की तरह यह लोन भी एनपीए का बड़ा कारण बन सकता है. कुछ समय बाद जब बड़ी संख्या में लोन एनपीए होने शुरू होंगे, तब इसकी हकीकत सामने आयेगी.
लोगों में यह भ्रांति है कि सरकार माफ कर देगी लोन
वर्तमान में सबसे ज्यादा एनपीए कृषि लोन में करीब 24 प्रतिशत है. कृषि लोन की तरह ही मुद्रा को लेकर भी अधिकांश संख्या में लोगों में यह भ्रांति है कि यह माफ हो जायेगा या सरकार उनके बदले इसे चुका देगी. परंतु मुद्रा लोन के साथ ऐसी कोई बात नहीं है.
यह लोन बैंक की तरफ से दिया जाता है और 10 लाख तक के लोन के लिए कोई बैंक गारंटी की बहुत जरूरत नहीं पड़ती है. इस लोन को लेने के बाद अन्य लोन की तरह ही लौटाना पड़ेगा. अन्यथा बैंक की तरफ से वसूली की कार्रवाई की जायेगी. हालांकि दूसरी तरफ एसएचजी (स्वयं सहायता समूह) को मिलने वाले लोन में रिटर्न बहुत ही अच्छा है. इसमें 98% लोन रिटर्न हुआ है. एनपीए सिर्फ 2% है. परंतु मुद्रा में यह स्थिति नहीं है.
कृषि लोन में गलत कागजात बड़ी समस्या
कृषि लोन में एनपीए बड़ी संख्या में होने की मुख्य वजह गलत कागजात और नाम-पता के आधार पर लोन लेना है. इसमें बैंककर्मियों की मिली-भगत से इन्कार भी नहीं किया जा सकता है. ज्यादातर कृषि लोन छोटे होते हैं. अधिकतर लोग कृषि लोन यह सोच कर भी लेते हैं कि उन्हें इसे लौटाना नहीं है. सरकार को माफ कर ही देगी. इन कारणों से भी लोन एनपीए हो जाते हैं.

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