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मंदी की आहट : निर्माण क्षेत्र में ढाई लाख लोगों पर पड़ सकती है बेरोजगारी की मार
अनिकेत पटना : बीते पांच वर्षों में लगातार लड़खड़ाती रही कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री व रियल इस्टेट के कारोबार में अब आर्थिक मंदी की आहट दिखने लगी है.करीब पांच लाख से अधिक लोगों को रोजगार दे रही इन कंपनियों में आधी नौकरियों पर संकट आ गया है. 2013 के बाद से 2017 तक कभी नियमों के पेच, […]
अनिकेत
पटना : बीते पांच वर्षों में लगातार लड़खड़ाती रही कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री व रियल इस्टेट के कारोबार में अब आर्थिक मंदी की आहट दिखने लगी है.करीब पांच लाख से अधिक लोगों को रोजगार दे रही इन कंपनियों में आधी नौकरियों पर संकट आ गया है. 2013 के बाद से 2017 तक कभी नियमों के पेच, तो कभी बालू और अन्य संसाधनों की कमी से उत्पन्न हालात में अब जब 2018 के बाद से कुछ सुधार होने की संभावना बनी थी, तो अब आर्थिक मंदी दानव बन कर उभर रही है.
बिल्डर एसोसिएशन व अन्य संगठनों का अनुमान है कि पूरे राज्य में करीब 2.5 लाख लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से बेरोजगारी की चौखट पर आ सकते हैं. बिल्डर एसोसिएशन के बिहार चैप्टर के अध्यक्ष भावेश कुमार बताते हैं कि वर्ष 2005 से 2012 तक जहां राज्य की 13 फीसदी विकास दर में इस इंडस्ट्री का योगदान पांच फीसदी था, वह अब घट कर तीन फीसदी से नीचे आ गया है. अभी इसे और नीचे गिरने की संभावना है, जो मंदी को दिखाता है.
पहले से डूबते रियल इस्टेट कारोबार पर असर
कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री व रियल इस्टेट कारोबार राज्य में लगातार झेल रहा दिक्कतें
कृषि के बाद राज्य में दूसरे नंबर पर रोजगार देने वाले कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री का हाल
सिर्फ पटना, भागलपुर, मुजफ्फरपुर गया व भागलपुर में ही चल रही हैं प्रोजेक्टें
एक करोड़ से अधिक लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित
सरकार नहीं दे रही आर्थिक सहयोग, हर घर के सपने को पूरा होने में बाधा
ऐसे समझिए बेरोजगारी के खतरे का गणित
बिल्डर एसोसिएशन के मुताबिक पूरे राज्य में लगभग तीन लाख नॉन स्किल्ड (मजदूर) और करीब एक लाख स्किल्ड (इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर, ड्राइवर, कंप्यूटर आदि पर काम करने वाले) लोग कंस्ट्रक्शन इंड्रस्ट्री में काम कर रहे हैं. स्किल्ड व नॉन स्किल्ड लोगों के बीच एक तिहाई का औसत होता है. इसके अलावा लगभग 75 हजार सेमी स्किल्ड मजदूर भी काम करते हैं. ये पूरा आंकड़ा करीब चार लाख 75 हजार आता है. अब अनुमान लगाया जा रहा है कि50 फीसदी लोगों का काम छिन जायेगा यानी बेरोजगार होने वालों की संख्या करीब दो लाख37 हजार 500 होगी.
यूजर को चाहिए तैयार घर, इन्वेस्टर नहीं लगा रहे पैसा
कंस्ट्रक्शन कारोबार से जुड़े बिल्डर बताते हैं कि राज्य में पहले से इन्वेस्टर कम थे. लोग सीधे उपयोग के लिए ही फ्लैट या घर खरीदते हैं. फिलहाल 80 फीसदी लोगों को तैयार घर ही चाहिए. वहीं, दूसरी तरफ राज्य व राज्य के बाहर के इन्वेस्टरों ने इसमें पैसा लगाना कम कर दिया है.
इस कारण डिमांड होने के बावजूद हमलोग पैसे के अभाव में नये निर्माण नहीं खड़े कर पा रहे हैं. फिलहाल आंकड़ा है कि पटना में प्रतिवर्ष 5000 और पूरे राज्य में 15000 हजार से अधिक फ्लैट व घरों की जरूरत है. लेकिन, बिल्डर पैसा के अभाव में अपने प्रोजेक्ट पूरा नहीं कर पा रहे हैं.
75% बिल्डरों के पास नहीं है प्रोजेक्ट
बिल्डर एसोसिएशन के अनुसार राज्य में 160 बिल्डर पंजीकृत हैं, जबकि बगैर पंजीकृत बिल्डरों की संख्या 50 के आसपास है. अब ताजा आंकड़ा है कि सिर्फ 50 से 60 बिल्डरों के पास ही बड़े प्रोजेक्ट हैं. वहीं, कई बिल्डर जमीन होने के बावजूद इन्वेस्टर नहीं होने के कारण काम नहीं शुरू कर पा रहे हैं.
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